दावों की बारिश,जवाब नदारद:मोहन सरकार के 2 साल पर डिप्टी सीएम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ प्रचार,हकीकत गायब
जबलपुर।मध्यप्रदेश में डॉ.मोहन यादव सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस विकास का लेखा-जोखा कम और सरकारी आत्मप्रशंसा का मंच अधिक नजर आई।बड़े-बड़े दावे किए गए,लेकिन जमीनी सवालों से बचते हुए आंकड़ों और सच्चाई पर चुप्पी साध ली गई।‘विरासत और विकास’ का नारा, लेकिन जनता को मिला क्या?
डिप्टी सीएम ने दो वर्षों को विरासत और विकास का प्रतीक बताया,पर महंगाई, बेरोजगारी,बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा व्यवस्था पर एक शब्द तक नहीं कहा।
सवाल साफ है—
👉 अगर विकास हुआ है,तो आम आदमी की जिंदगी आसान क्यों नहीं हुई?
जबलपुर:विकास या सिर्फ घोषणाओं का शहर?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जबलपुर के नाम पर:
सबसे बड़ा फ्लाईओवर
सबसे बड़ी रिंग रोड
रानी दुर्गावती स्मारक की DPR
जैसी बातें दोहराई गईं,लेकिन ना समय-सीमा,ना बजट का ब्योरा और ना ही ज़मीन पर प्रगति का प्रमाण सामने रखा गया।
स्थानीय लोगों का सवाल है—
👉 कितनी योजनाएं कागजों से बाहर निकल पाईं?
सड़कें:प्रचार में चमकदार,हकीकत में गड्ढों से भरी
कांग्रेस शासन को कोसते हुए भाजपा सरकार ने सड़कों की दुहाई दी,लेकिन आज भी कई जिलों में टूटी सड़कों,हादसों और भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं।
👉क्या सरकार तुलना से काम चलाना चाहती है या जिम्मेदारी निभाना?
लाड़ली बहना योजना:संवेदनशील योजना पर राजनीति
लाड़ली बहना योजना को लेकर विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया गया, लेकिन योजना की राशि बढ़ेगी या घटेगी, भविष्य में जारी रहेगी या नहीं—इस पर कोई ठोस गारंटी नहीं दी गई।
👉क्या महिलाओं की उम्मीदें सिर्फ चुनावी हथियार बनकर रह गई हैं?
कर्ज नहीं,निवेश?तो आंकड़े कहां हैं?
सरकार ने बढ़ते कर्ज को निवेश बताया,लेकिन राज्य पर बढ़ते आर्थिक बोझ,ब्याज और भविष्य की जिम्मेदारियों पर कोई स्पष्ट रिपोर्ट पेश नहीं की गई।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि
👉 बिना पारदर्शी रिटर्न प्लान के निवेश भी संकट बन सकता है।
नक्सलवाद पर‘शानदार अभियान’का दावा,लेकिन अधूरी तस्वीर
नक्सलवाद खत्म होने की बात कही गई,पर पुनर्वास नीति, सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा और दीर्घकालिक रणनीति पर कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई।
👉 केवल सरेंडर के आंकड़े क्या स्थायी शांति की गारंटी हैं?
दो साल पूरे,लेकिन सवाल और गहरे
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार ने उपलब्धियों की सूची पढ़ी,लेकिन जनता के सीधे सवाल—रोजगार कहां है?महंगाई क्यों बढ़ रही है?स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों चरमराई है?—इन पर कोई जवाब नहीं मिला।
मोहन सरकार के दो साल पूरे होने के जश्न के बीच यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उपलब्धियों का प्रमाण नहीं,बल्कि जवाबों की कमी को उजागर करती नजर आई।
अब जनता को भाषण नहीं,ठोस परिणाम चाहिए।
