जबलपुर में किसान बगावत:ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट से कलेक्ट्रेट घिरा,लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ उफना आक्रोश...
जबलपुर–मध्यप्रदेश के किसानों का गुस्सा अब सड़कों पर दिखने लगा है,सोमवार को जबलपुर जिला मुख्यालय पर किसानों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सैकड़ों ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट और नारों की गूंज ने कलेक्ट्रेट परिसर को रणक्षेत्र बना दिया।किसान संगठनों ने प्रशासन पर सीधा वार करते हुए आरोप लगाया कि लैंड पूलिंग एक्ट किसानों की जमीन हड़पने का कानून है,जो किसान विरोधी है।किसानों का दर्द–“हमारी जमीन छीनी जा रही है, मुआवजा भी नहीं”
किसानों ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर जमीन ले रही है,लेकिन न तो उचित मुआवजा दिया जा रहा है और न ही किसानों के परिवारों का भविष्य सुरक्षित किया जा रहा है।
•लैंड पूलिंग एक्ट के जरिए किसान परिवारों को उनकी ही मिट्टी से बेदखल किया जा रहा है।
•बड़े उद्योगपतियों और बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों की पुश्तैनी जमीन कुर्बान की जा रही है।
•“हमारी जमीन ही हमारी जिंदगी है,अगर यह छीन ली तो हम सड़क पर आ जाएंगे।”
कलेक्ट्रेट का घेराव–ट्रैक्टर मार्च से प्रशासन में मचा हड़कंप
सुबह से ही किसान गांव-गांव से ट्रैक्टर लेकर शहर की ओर निकले।कलेक्ट्रेट पहुंचते ही सैकड़ों ट्रैक्टरों ने सड़क जाम कर दी।
•जगह-जगह“लैंड पूलिंग एक्ट वापस लो”और “किसानों का शोषण बंद करो”जैसे नारे गूंजे।
•किसान नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और भी उग्र होगा।
•अचानक हुए इस ट्रैक्टर मार्च से जिला प्रशासन के अफसरों के हाथ-पांव फूल गए।
किसानों की मुख्य मांगें
1.लैंड पूलिंग एक्ट को तत्काल रद्द किया जाए।
2.छीनी गई जमीन का तुरंत और उचित मुआवजा दिया जाए।
3.किसानों को पुनर्वास और वैकल्पिक रोजगार की गारंटी मिले।
4.मुख्यमंत्री और सरकार को किसानों से सीधी बातचीत करनी होगी।
आंदोलन की गूंज–सरकार पर बढ़ा दबाव
किसानों का यह प्रदर्शन सिर्फ जबलपुर तक सीमित नहीं रहेगा। किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन पूरे मध्यप्रदेश में फैल सकता है।
•“अगर सरकार ने कान नहीं खोले तो सड़कों पर उतरकर राजधानी भोपाल का भी घेराव करेंगे।”
•प्रदर्शनकारी किसानों ने साफ कहा कि वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
