जबलपुर की अंधी हत्या:प्रेम प्रसंग में हत्या या सिस्टम की नाकामी?
जबलपुर।बरगी थाना क्षेत्र में 19 साल के युवक सतेंद्र उइके की हत्या ने एक बार फिर समाज और व्यवस्था की पोल खोल दी है।यह घटना महज प्रेम प्रसंग की आड़ में हुई बेरहम वारदात नहीं है,बल्कि यह सवाल खड़ा करती है कि हमारे युवाओं की सोच,समाज का धैर्य और पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली आखिर कहां जा रही है।
राखी न बांधने की कीमत मौत?
सोचिए,एक भाई अपनी बहन के प्रेम संबंध को रोकने के लिए इतना अंधा हो गया कि उसने दोस्त बुलवाकर अपने ही हम उम्र युवक की गला रेतकर और पत्थर से चेहरा कुचलकर हत्या कर दी।यह सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती असहिष्णुता और हिंसक मानसिकता का भयावह चेहरा है।
पुलिस और सिस्टम पर सवाल
•15 अगस्त को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी,फिर 20 अगस्त को शव मिलने तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही?
•आरोपी हत्या के बाद चेन्नई तक कैसे भाग निकले?क्या पुलिस की निगरानी इतनी कमजोर है?
•क्या हमारी पुलिस सिर्फ वारदात होने के बाद कार्रवाई करने तक सीमित हो गई है?
युवाओं में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति
18 से 23 साल की उम्र के चार युवक मिलकर इतनी बड़ी साजिश रचते हैं,यह बताता है कि हमारे गांव-शहर का युवा गुस्से,अहंकार और रिश्तों की गलत व्याख्या में हिंसक होता जा रहा है,शिक्षा और संस्कार की कमी साफ दिखती है।
समाज के लिए चेतावनी
यह हत्या एक अलार्म है।
•अगर परिवार और समाज समय रहते बच्चों को सही दिशा नहीं देंगे,
•अगर पुलिस-प्रशासन संवेदनशील नहीं होगा,तो आने वाले दिनों में ऐसे ‘छोटी बात पर बड़ी हत्या’ वाले मामले और बढ़ेंगे।
निचोड़
सतेंद्र की हत्या सिर्फ एक युवक की जान लेने की कहानी नहीं है,बल्कि यह हमारी मानसिकता और सिस्टम की विफलता का आईना है।सवाल यही है –क्या हम अब भी इसे एक‘क्राइम न्यूज़’मानकर भूल जाएंगे,या फिर इस पर ठोस सुधार की मांग करेंगे?
