जबलपुर का ग्रीन रिवोल्यूशन:युवाओं की नयी सोच बदल रही शहर की पहचान...
जबलपुर हमेशा से अपनी नर्मदा नदी और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता रहा है,लेकिन अब शहर का एक नया चेहरा उभर रहा है।यहाँ के युवा एक ऐसे मिनी ग्रीन मूवमेंट की शुरुआत कर रहे हैं,जो आने वाले समय में जबलपुर को देश का सबसे इको-फ्रेंडली शहर बना सकता है।कहानी की शुरुआत छोटे कदम से
यह कहानी किसी बड़ी संस्था की नहीं,बल्कि कॉलेज के कुछ छात्रों की है।
•वे लोग हर रविवार सुबह“मिनी नर्मदा सफाई अभियान”चलाते हैं।
•अपने पॉकेट मनी से पौधे खरीदकर खाली ज़मीन पर रोपते हैं।
•सोशल मीडिया पर #HarRaviwarNarmadaTrend के ज़रिये शहर के युवाओं को जोड़ते हैं।
इन छोटे कदमों ने सिर्फ नदी का चेहरा ही नहीं,बल्कि शहर की सोच को भी बदलना शुरू कर दिया है।
युवा शक्ति का असर
पिछले तीन महीनों में ही
•1500+ पौधे लगाए गए।
•12 टन से ज़्यादा कचरा नर्मदा किनारे से हटाया गया।
•20 स्कूलों के बच्चों को“ग्रीन वारियर्स”की ट्रेनिंग दी गई।
अब शहर के बुज़ुर्ग भी रविवार की सुबह अपने बच्चों के साथ इस अभियान में जुड़ रहे हैं।
क्यों यह आर्टिकल शेयर करना जरूरी है
जबलपुर का यह मॉडल सिर्फ एक शहर तक सीमित नहीं है।
अगर भोपाल,इंदौर या दिल्ली जैसे बड़े शहरों के युवा भी इस आइडिया को अपनाएं तो सोचिए देश कितना ग्रीन और क्लीन हो सकता है।
बदलाव का असली हीरो कोई नेता नहीं, बल्कि साधारण युवा हैं जो चुपचाप भविष्य लिख रहे हैं।
निष्कर्ष
जबलपुर का यह ग्रीन रिवोल्यूशन साबित करता है कि छोटे कदम मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
👉अगर आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो पहला कदम है–इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना।