MP TOP:रीवा कलेक्ट्रेट घोटाला:फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी, प्रशासन ने छिपाई सच्चाई–जनता पूछ रही किसके संरक्षण में खेल हुआ?

रीवा कलेक्ट्रेट घोटाला:फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी,प्रशासन ने छिपाई सच्चाई–जनता पूछ रही किसके संरक्षण में खेल हुआ?

रीवा।मध्यप्रदेश का रीवा जिला इन दिनों एक बड़े घोटाले की चपेट में है।कलेक्ट्रेट कार्यालय से जुड़ा यह मामला अब पूरे प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है।सहायक ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत अभिराम मिश्रा ने अनुकंपा नियुक्ति बचाने के लिए फर्जी CPCT(कंप्यूटर दक्षता प्रमाण पत्र)जमा किया और वर्षों तक नौकरी करता रहा।

कैसे हुआ पर्दाफाश?

जब मार्कशीट पर संदेह हुआ,तो कलेक्टर प्रतिभा पाल ने MPSEDC को पत्र भेजकर सत्यापन मांगा।

•जवाब में साफ लिखा गया कि मिश्रा की प्रस्तुत मार्कशीट फर्जी है।

•हकीकत यह है कि वे परीक्षा में फेल हुए थे।

•चौंकाने वाली बात यह कि यह जानकारी पहले से ही डाक और ईमेल द्वारा कलेक्ट्रेट को मिल चुकी थी, लेकिन इसे दबा दिया गया।

भ्रष्टाचार की गंध क्यों?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि —

•भोपाल से आई जानकारी को वरिष्ठ अधिकारियों तक क्यों नहीं पहुंचाया गया?

•क्या किसी ने जानबूझकर घोटाले को दबाया?

•आखिर किसके संरक्षण में अभिराम मिश्रा को बचाने की कोशिश हुई?

कलेक्टर पर जनता की निगाहें

जांच शुरू होने के बाद अब निगाहें सीधे कलेक्टर प्रतिभा पाल पर टिकी हैं,लोग पूछ रहे हैं कि—

•क्या सिर्फ एक कर्मचारी पर गाज गिरेगी या पूरा नेटवर्क बेनकाब होगा?

•क्या रीवा प्रशासन इस बार सख्त कार्रवाई करेगा या फिर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा?

जनता का गुस्सा,प्रशासन पर सवाल

यह घोटाला साफ दिखाता है कि रीवा कलेक्ट्रेट में सिर्फ लापरवाही नहीं,बल्कि सिस्टमेटिक कवर-अप हुआ है।

•अगर एक कर्मचारी खुद फर्जी दस्तावेज बनाकर नौकरी कर सकता है और जानकारी दबाई जाती है,तो क्या यह प्रशासनिक सांठगांठ का मामला नहीं?

•जनता अब यह मानने लगी है कि रीवा कलेक्ट्रेट के भीतर ही भ्रष्टाचार का गढ़ तैयार हो चुका है।

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