MP TOP:जबलपुर में पासपोर्ट माफिया का अड्डा:10 साल से छिपा अफगानी,सरकारी सिस्टम में सेंध,10 लाख का खेल बेनकाब...

जबलपुर में पासपोर्ट माफिया का अड्डा:10 साल से छिपा अफगानी,सरकारी सिस्टम में सेंध,10 लाख का खेल बेनकाब...

जबलपुर/स्पेशल रिपोर्ट—मध्यप्रदेश एटीएस ने शहर के बीचों-बीच चल रहे एक ऐसे पासपोर्ट रैकेट का पर्दाफाश किया है,जिसने सरकारी सिस्टम को अपनी जेब में कर लिया था।खुलासे में सामने आया है कि जबलपुर में 20 से ज्यादा अफगानी नागरिक अवैध तरीके से रह रहे हैं,जिनमें कई ने भारतीय पासपोर्ट तक हासिल कर लिए और चौंकाने वाली बात—इस नेटवर्क में सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।

इस ऑपरेशन की शुरुआत एक गुप्त मुखबिर की टिप से हुई,जानकारी मिली कि शहर में वर्षों से छिपा एक विदेशी पासपोर्ट माफिया,देशभर में अवैध नागरिकों के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवा रहा है।इसी सूचना के आधार पर एटीएस ने अफगानी नागरिक सोहबत खान को दबोचा,जो पिछले 10 साल से जबलपुर में फर्जी पहचान पर रह रहा था।

सोहबत खान न सिर्फ अपना भारतीय पासपोर्ट बनवा चुका था,बल्कि पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में रह रहे अन्य विदेशी नागरिकों के लिए भी मोटी रकम लेकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवा रहा था।जांच में सामने आया कि इस रैकेट ने पासपोर्ट की आड़ में करीब 10 लाख रुपये की अवैध कमाई की है।

गिरफ्तार आरोपियों के नाम

•सोहबत खान,निवासी 8 नल,छोटी ओमती,जबलपुर —मास्टरमाइंड।

•दिनेश गर्ग,उम्र 40 वर्ष,वन विभाग कर्मचारी,पदस्थ रजिस्ट्रार ऑफिस इलेक्शन सेल—सिस्टम के अंदर से मददगार।

•महेंद्र कुमार सुखदान,उम्र 45 वर्ष,निवासी कटंगा, जबलपुर—लोकल नेटवर्क ऑपरेटर।

एटीएस को अब तक 20 से ज्यादा फर्जी पासपोर्टधारकों की लिस्ट मिल चुकी है,इसमें पुलिस, पोस्ट ऑफिस और अन्य विभागों में बैठे लोगों की मिलीभगत की भी जांच की जा रही है।

फिलहाल,एटीएस इस नेटवर्क की सभी कड़ियां जोड़ने में लगी है,ताकि यह साफ हो सके कि विदेशी नागरिक कैसे आसानी से भारतीय पहचान हासिल कर लेते हैं —और वह भी सरकारी सिस्टम की नाक के नीचे।

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