जबलपुर स्टेशन पर भूख से बिलखते 7 मासूम भीख माँगते मिले:सवाल–आखिर बच्चों को इस हालात तक पहुँचाने वाला कौन?
जबलपुर।यह कोई फिल्मी कहानी नहीं,बल्कि हकीकत है,रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर सात मासूम बच्चे भूख और लाचारी से जूझते हुए भीख माँगते मिले।उम्र महज़ 5 से 15 साल और हालात ऐसे मानो ज़िंदगी उनसे हर हक छीन चुकी हो।गश्त पर निकली आरपीएफ टीम ने इन्हें देखकर तुरंत रेस्क्यू किया।‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’के तहत बच्चों को सुरक्षित आश्रय जरूर मिला,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार ये मासूम इस हालात में पहुँचे कैसे?
👉क्या इनके परिवारों ने इन्हें छोड़ दिया?
👉गरीबी ने इन्हें भीख माँगने पर मजबूर कर दिया?
👉या फिर सिस्टम बच्चों की देखभाल में नाकाम साबित हुआ?
रेस्क्यू किए गए बच्चों में पाँच लड़के और दो लड़कियाँ शामिल थीं,पूछताछ में पता चला कि सभी इटारसी (नर्मदापुरम) जिले से आए थे।आरपीएफ ने उन्हें बाल कल्याण समिति(CWC) के हवाले किया,जिसके बाद –
•दो बच्चों को गोकलपुर बाल गृह,
•चार बच्चियों को लाडली बसेरा विजय नगर,
•और एक बच्चे को जागृति केंद्र में भेजा गया।
इन मासूमों की कहानी दिल दहला देने वाली है,सवाल यह नहीं कि उन्हें अभी सुरक्षित जगह मिल गई,बल्कि सवाल यह है कि देश के भविष्य कहलाने वाले बच्चे सड़क और प्लेटफॉर्म पर भीख माँगने को क्यों मजबूर हैं?
👉असली मुद्दा यही है:
रेस्क्यू के बाद तो बच्चों को सहारा मिल जाएगा, लेकिन जब तक गरीबी,लापरवाही और सिस्टम की उदासीनता दूर नहीं होगी,तब तक न जाने कितने और बच्चे प्लेटफॉर्म पर भीख माँगते मिलेंगे।
