"सत्र से पहले सील हुआ लोकतंत्र का गेट:बत्ती बंद,आवाज़ रोकी,नजरबंदी में विधानसभा"
भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र कल से शुरू हो रहा है,लेकिन इससे पहले ही परिसर को एक ‘राजनीतिक रेड ज़ोन’ में बदल दिया गया है। सुरक्षाकर्मी हर गेट पर तैनात हैं,रोशनी देने वाली बत्तियाँ बंद कर दी गई हैं और विरोध की हर आवाज़ पर अनदेखा सेंसर लगा दिया गया है।
शनिवार को विधानसभा सचिवालय का नज़ारा किसी हाई-सिक्योरिटी कंट्रोल जोन से कम नहीं था — मीडिया बाहर,कार्यालय बंद,और भीतर सिर्फ वही जो आदेश सूची में दर्ज हों।
अब विधानसभा सिर्फ बहस का नहीं,सुरक्षा का विषय है
सत्र की गरमी शुरू होने से पहले ही सुरक्षा की चादर फैला दी गई है और इस बार यह चादर सिर्फ बाहर तक नहीं—भीतर तक खिंच चुकी है।
•नारेबाज़ी प्रतिबंधित:
विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर परिसर में कोई राजनीतिक प्रदर्शन, पोस्टर या नारे की अनुमति नहीं।
•गेटों पर कड़ा नियंत्रण:
गेट नंबर 1 और 3 वीआईपी और विशेष प्रवेश के लिए आरक्षित, जबकि गेट 2, 4 और 5 को बंद कर दिया गया।
•वाहनों पर सख्ती:
लाल, पीली और नीली बत्ती, हूटर, बिना अनुमति वाले गैस वाहन — सब पर रोक।
यहां तक कि प्राइवेट ऑटो रिक्शा को भी भीतर घुसने नहीं दिया जाएगा।
•सुरक्षा कर्मियों पर भी नियंत्रण:
विधायकों के अंगरक्षक यदि भारी हथियारों से लैस हैं, तो उनका प्रवेश भी वर्जित है।
•पत्रकार भी सिस्टम की स्क्रीनिंग में
पहली बार ऐसा हुआ कि मीडिया कार्यालय शनिवार को बंद रहे,पास लेने पहुंचे पत्रकारों को लौटाया गया और कहा गया — “कल आइए”।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी अब अनुमति और पास नंबर के आधार पर परखा जा रहा है।
ये सुरक्षा नहीं, सन्नाटा है — जो लोकतंत्र से पहले आ गया
एक ओर जनता की नुमाइंदगी के लिए बनाए गए जनप्रतिनिधि अंदर जाएंगे,दूसरी ओर आवाज़ें, बहसें, असहमतियाँ और जनता की नज़रें बाहर रह जाएंगी।
एक लाइन में निष्कर्ष:
"सत्र अभी शुरू नहीं हुआ — लेकिन सन्नाटा पहले ही पास बनाकर अंदर पहुंच चुका है।"