तेहरान/वॉशिंगटन। ईरान और इजराइल के बीच चल रहा टकराव अब बहुपक्षीय सैन्य और कूटनीतिक संकट में बदलता जा रहा है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, ईरान न केवल तैयार बैठा है, बल्कि उसके हथियार लक्ष्य साध चुके हैं—मिडिल ईस्ट में मौजूद अमेरिकी अड्डे अब "टॉप प्रायोरिटी टारगेट" हैं।
ईरान के ‘फतह-1’ हाइपरसोनिक मिसाइलों के प्रयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह संघर्ष परंपरागत सीमाओं से बाहर जा चुका है। दूसरी ओर, अमेरिका ने यूरोपीय ठिकानों से फ्यूल टैंकर विमानों की तैनाती के जरिए संकेत दे दिया है कि वह लंबी दूरी की लड़ाई के लिए तैयार है।
विश्लेषकों के अनुसार, ईरान यदि होर्मुज जलडमरूमध्य में बारूदी सुरंगें बिछाता है, तो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर गहरा असर पड़ेगा। साथ ही अगर हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में फिर से हमले शुरू किए, तो यह अमेरिका के लिए दोहरे मोर्चे वाला युद्ध बन जाएगा।
