नई दिल्ली/बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में मंगलवार को घटित नक्सली हिंसा एक बार फिर राज्य प्रशासन की ‘मौन नीति’ को कटघरे में खड़ा करती है। पेद्दाकोरमा गांव में नक्सलियों ने तीन ग्रामीणों की हत्या कर दी, और दर्जनों को अगवा किया – लेकिन अभी तक पुलिस थाने में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि संवैधानिक तंत्र की असफलता का संकेत है। ग्रामीणों में इतना भय है कि वे रिपोर्ट लिखाने तक नहीं जा पा रहे। क्या राज्य सरकार संवैधानिक अधिकारों की रक्षा में असहाय हो चुकी है?
वेल्ला जैसे नक्सल नेताओं का खुलेआम गांव में आना और रणनीतिक हत्याएं करना इस बात की पुष्टि करता है कि "जन सुरक्षा" आज भी जंगलों में एक खोखला शब्द मात्र है।