उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र एक बार फिर प्रकृति की अनियंत्रित शक्तियों के सामने बेबस नजर आए। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी के समीप हुए भूस्खलन में दो श्रद्धालुओं की जान चली गई।
भूस्खलन से गिरे पांच लोग खाई में गिर पड़े, जिनमें से तीन को गंभीर अवस्था में सुरक्षित निकाला गया। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून पूर्व इस तरह की घटनाएं जलवायु परिवर्तन और अस्थिर पर्वतीय संरचना का परिणाम हैं।
प्रशासन की ओर से राहत कार्य जारी है, लेकिन पर्यावरणविदों का कहना है कि तीर्थयात्रा मार्गों पर अनियंत्रित निर्माण और अत्यधिक यात्री दबाव इन घटनाओं को और अधिक खतरनाक बना रहे हैं।
यह समय है जब यात्रा से पहले मौसम, सुरक्षा और पर्यावरणीय जोखिमों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
