अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ प्रेस वार्ता...

अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ प्रेस वार्ता... 

ब्यूरो रिपोर्ट...

जबलपुर।।जबलपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में अखिल भारतीय खदान मज़दूर संघ ने स्पष्ट कहा हैं कि कुछ अधिकारी औद्योगिक शांति भंग करने का षडयंत्र रच रहे हैं।इन अफसरों के पीछे किसका हाथ है और कौन फंडिंग कर रहा है,इसकी जांच कोयला मंत्रालय को तत्काल कराना चाहिए।कोल अधिकारीयों ने अपने वेतन समझौते के नियत तिथि यानि 01 जनवरी 2017 को कोल इंडिया से जो भी मांगा या जो मिला यूनियन ने उसका कभी विरोध नहीं किया।लेकिन कोयला उद्योग में सब ठीक चल रहा था,वहीं जैसे ही कोयला मजदूरों के एमजीवी में 19 फीसदी की बढ़ोत्तरी पर हस्ताक्षर हुए तो कुछ कोल अफसर ने इस वेतन समझौता NEWA XI को पचा नहीं सके,अब मजदूर संगठन कोल अफसरों को मिलने वाली कई गैर जरुरी लाभ का पुरजोर विरोध करता है।वहीं चिट्ठियां लिखकर कोल इंडिया प्रबंधन को बताने लगे कि एमजीवी में 19 फीसदी की बढ़ोत्तरी से कोयला मजदूरों का वेतन अफसरों से अधिक हो जाएगा।कोल अफसर वेतन समझौते की फाइल कोयला मंत्रालय में नही रुकवा सके तो वेज एग्रिमेट(NCWA-XI)को रद्द कराने की नीयत से कोर्ट चले गए।कोल अफसरों ने मजदूरों के वेतन समझौते को कानूनी दांव पेंच में फसा दिया और ऐसा करके कोल अफसरों ने लगभग ढाई लाख मजदूरों के हितों पर आर्थिक चोट पहुंचाने का षड्यंत्र किया है,ऐसा षड्यंत्र रचने वाले तत्व जिम्मेदार होंगे।लाखों कोल कर्मचारियों के आर्थिक नुकसान कराये जाने वाली इस साज़िस का निंदा करते हुए भारतीय मज़दूर संघ ने स्पष्ट कहा है कि अब मजदूर संगठन कोल अफसरों को महारत्र कंपनियों की तर्ज पर वेतन देने का भी विरोध करता है क्यूंकि यह गैर जरुरी मांग है।गैर अधिकारी के सीनियर कर्मियों की जूनियर अधिकारी से तुलना करना भी व्यावहारिक तौर से गैर तार्किक एवं अनुचित है।कोल अफसरों का वेतन समझौता 10 साल के लिए होता है इस समय काल के बीच में नया मांग उठाना गलत उदहारण पेश करेगा,जिससे भविष्य में वेतन समझौते के तय समय से पहले ट्रेड यूनियन भी नयी मांगों को रखने की परंपरा शुरू करेगा।जबकि मजदूरों का पांच साल के लिए हुआ है और कोल अधिकारी हर साल पीआरपी के नाम पर न्यूनतम दो से आठ लाख रुपए तक प्राप्त कर रहें हैं।साथ ही हर तीन साल में लैपटॉप की खरीदी के लिए अब लाख रुपए से अधिक मिल रहा है।सेवा काल में अधिकारीयों के मृत्योपरांत उनके आश्रितों को क्लर्क पद पर नियोजित किया जाता है।जबकि उनसे अधिक योग्यता रखने वाले गैर अधिकारी कर्मियों के मृतक आश्रित को जनरल मज़दूर पद पर नियोजित करने की भेदभाव पूर्ण प्रकिया अपनायी जा रही है।हमलोगो ने सम्मान और सौहार्द को ध्यान में रखते हुए अभी तक इनका विरोध नहीं किया लेकिन अब चुप नहीं बैठेंगे तथा फिल्ड में जा कर पुरजोर विरोध करते हुए लड़ाई लड़ेंगे इसमें उत्पन्न औद्योगिक अशांति एवं नुकसान की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सिर्फ ओर सिर्फ प्रबंधन की होगी।

भारतीय मजदूर संघ मांग करता है कि कोल अधिकारियों को महारत्न कंपनी के समान वेतन नहीं दिया जाना चाहिये।क्यूंकि यह डीपीई में कहीं भी उल्लेखित नहीं है,संगठन कोल इंडिया/अधिकारियों से पूछता हैं कि डीपीई(लोक उद्यम विभागकी गाइड लाइन में कहाँ लिखा है कि कोल अधिकारियों को अन्य महारत्न कंपनी जैसे ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड या ऑयल एंड नेचुरल गैस की तर्ज पर वेतन दिया जाए?संघठन कोल अफसरों की ऐसी मांर्गों का भी विरोध करता है गैर अधिकारी कर्मियों के लाभ एवं आर्थिक पहलूओं पर किये जाने वाले कुठाराघात के हो रहे प्रयास से विवश होकर कोल इंडिया में कार्यरत पाँचों केंद्रीय श्रम संगठनों ने संयुक्त बैठक कर निर्णय लिया कि गैर अधिकारी कर्मियों के बढ़े हुए वेतन अक्टूबर माह में लगातार(सतत)नहीं रखा जाता है तो बाध्य होकर 05/10/23 से 10/07/23 तक 72 घंटे की हड़ताल करेंगे।

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