जेब से पैसा लगाकर हो गए कंगाल,क्योंकि शाला निधि निकालना बन रहा है जी का जंजाल...

जेब से पैसा लगाकर हो गए कंगाल,क्योंकि शाला निधि निकालना बन रहा है जी का जंजाल...


वित्तीय वर्ष के अन्तिम समय में ऑनलाइन के फेर में उलझे गये शाला प्रधान...

ब्यूरो रिपोर्ट....


जबलपुर।।प्रदेश एवं जिले की शालाओं के शाला प्रधान(प्रधान अध्यापक)को पूर्व में दिशा निर्देश मिले।जिसमें सभी को अपनी--अपनी शालाओं के विभिन्न कार्य करवाने ने थे,जैसे कि शाला की रंगाई - पुताई,पंखे - लाइट फिटिंग,स्टेशनरी खरीदी, आकस्मिक मरम्मत कार्य,विधानसभा डाक,कम्प्यूटर इत्यादि कार्य।आवश्यकतानुसार सभी शाला प्रधानों ने कार्यो की राशि को अपने जेब से खर्च कर पूरे कराये।जब खर्च की गई राशि लेने की बारी आयी तो अब शाला प्रधानों को ऑनलाइन लेनदेन का ब्योरा देने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

शाला प्रधानों की जटिल समस्याओं को देख मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर ने बताया कि शिक्षक के द्वारा पहले शाला संचालन के विभिन्न कार्य करने में सालभर छुटपुट खर्च जैसे शाला प्रवेश उत्सव,जन शिक्षा केंद्र से पुस्तकों का संग्रहण करने अनेकों बार अपना जेब से भाड़ा लगाया गया है।अब जबकि वित्तिय वर्ष का अन्तिम समय चल रहा है,बिना कम्प्यूटर के आहरण वितरण का जटिल कार्य कैसे सम्भव हो पायेगा है।यह अपने आप में एक जटिल समस्या है,क्या सालभर वरिष्ठ अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ रहें ? और यदि वरिष्ठ कार्यालय द्वारा सरलीकरण नहीं किया गया तो समस्त शालाओं की वित्तीय वर्ष २०२२-२३ की समस्त राशि लेप्स हो जायेगी।शाला विकास के कार्य अधूरे रह जायेगे,साथ ही साथ शाला प्रधान की जेबों के पैसे जो उन्होंने वरिष्ठ कार्यालय के मार्गदर्शन पर खर्च किये वह राशि भी अटक जायेगी।वरिष्ठ अधिकारियों से मांग है कि अतिशीघ्र शाला विकास एवं अतिआवश्यक कार्य के भुगतान के लिए पहले की तरह सरलीकरण करें ताकि प्राथमिक,माध्यमिक एवं एकीकृत शालाओं की राशियां लेप्स ना हो पाए।

Post a Comment

Previous Post Next Post
eaglenews24x7

क्या कहते है सितारे