नवरात्रि के पहले दिन भूलकर भी ना करना यह गलती,दूसरे दिन से रखना इन बातों का ध्यान...
विक्की झा।।नवरात्रि की महत्वता को तो आप सभी जानते हैं,पर क्या नवरात्रि में माता की कृपा बरसाने का साधन भी आप जानते हैं??क्या आप से भी माता के उपवास में या व्रत में कोई ऐसी गलती हो गई है,जिसकी वजह से आपका मन घबरा रहा है,तो चिंता मत कीजिए,मातारानी स्वयं इस नवरात्र सभी पापों को धोने और ऐश्वर्य की प्राप्ति करवाने स्वयं 9 दिन आपके घर में देवी बनकर निवास करेंगी, बस इसके लिए आपको नवरात्र के इन 9 दिनों में इन बातों का रखना पड़ेगा विशेष ध्यान:-
जैसा कि आप सभी जानते हैं,देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप है,जिनमें शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटा,कूष्मांडा,स्कंदमाता, कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा हर साल नवरात्र के 9 दिन की जाती है।शास्त्रों में इन सभी माताओं के पूजाओं को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार के विधान दिए गए हैं,अगर आप भी इस वर्ष चैत्र की नवरात्रि प्रारंभ कर रहे हैं,तो आपके लिए इन माताओं की पूजाओं का महत्व जानना बहुत जरूरी है।नवरात्रि का पावन त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है,साल में लगभग 4 नवरात्र आते हैं, जिनमें से दो नवरात्र गुप्त रूप से मनाया जाते हैं,यह पर्व पूरे 9 दिनों तक चलता है,इस दौरान मां दुर्गा के नव रूप की पूजा होती है,चेत्र में शुरू हुई इस नवरात्रि के पहले दिन को हिंदू नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है,वही नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।वही नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है।चौथी नवरात्र को मां कुष्मांडा का ध्यान किया जाता है,वही पांचवी नवरात्र को स्कंदमाता की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है,छठा नवरात्र मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है,वही सातवें नवरात्र के दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है,वही माता के महागौरी स्वरूप की पूजा 8 दिन के नवरात्र में की जाती है,नवा नवरात्र अर्थात राम नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करना काफी मंगलमय माना जाता है।अष्टमी के दिन कन्याओं की सेवा करने और उन्हें भोजन कराने से घर में आए सभी कष्ट और क्लेश दूर हो जाते हैं।
अगर आप पहले दिन की माता की पूजा किसी कारणवश नहीं कर पाए हैं,तो भी कोई बात नहीं,बाकी के 8 दिन पूरा मन लगाकर माता की भक्ति निस्वार्थ भाव से कीजिए,नवरात्रि में की गई निस्वार्थ भक्ति का फल आपको जरूर मिलेगा।