हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म भारतवर्ष में हुआ,पढ़े पूरी खबर.......

हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म भारतवर्ष में हुआ -संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर।


"जनजातीय धार्मिक परम्परा और देवलोक'' विषय पर गरिमामय संगोष्ठी।


पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं,कि हमने भारत भूमि में जन्म लिया है।हमें अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व करना चाहिये।

संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर आज जनजातीय संग्रहालय में 'जनजातीय धार्मिक परम्परा और देवलोक''विषय पर आयोजित 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रही थीं।अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने समय-समय पर भरत-भू की संस्कृति पर आक्रमण किया,किन्तु वे कभी इस गरिमामय संस्कृति को नष्ट करने के अपने प्रयासों में कामयाब नहीं हो सके।अतीत में विदेशी ताकतों ने शिक्षा और चिकित्सा का लालच देकर भारतवासियों को अपनी संस्कृति से दूर करने के प्रयास किये,पर वे कभी भी इसमें कामयाब नहीं हो सके।


संस्कृति मंत्री ने कहा कि भारत-सी भूमि विश्व में कहीं नहीं है।यह भूमि 75 हजार पुष्पों से आच्छादित है।मंत्रों की ध्वनि के पावन प्रभाव विज्ञान की कसौटी पर भी खरे उतरे हैं।ऐसे उदाहरण सामने आये हैं,कि कोविड के दौरान पावन आहुतियों से अवसाद जैसी समस्याओं से बड़ी सीमा तक मुक्ति मिली।इन आहुतियों ने सारे परिवेश को शुद्ध करने में भूमिका निभाई। संस्कृति मंत्री ने आव्हान किया कि हम सभी प्राचीनकाल में जगद्गुरु की प्रतिष्ठा रखने वाले भारतवर्ष को और आगे बढ़ाने में योगदान दें।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी ने कहा कि भारत की मूल संस्कृति की ओर जाने के प्रयास के लिये सरकार साधुवाद की पात्र है।प्राचीन ग्रंथों से उद्धरण देते हुए उन्होंने भारतीय संस्कृति के महात्म्य को रेखांकित किया।


बीज वक्तव्य देते हुए डॉ. कपिल तिवारी ने कहा कि जनजातियों के देवलोक के सामाजिक- आर्थिक पहलू हैं।हमने आराण्यक देवताओं के प्रति भी समान आदर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनजातियों में सामुदायिक स्वशासन ही तंत्र का काम करता था।जनजातीय लोग सदैव आत्मानुशासन में रहे हैं।जनजातीय समुदाय में सब कुछ वाचिक है,लिखित कुछ भी नहीं।हर पीढ़ी ज्ञान को आगे बढ़ाती है।


इस अवसर पर संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी तथा डॉ.धर्मेन्द्र पारे ने भी उद्बोधन दिया।इस मौके पर अकादमी द्वारा प्रकाशित डॉ. धर्मेन्द्र पारे की पुस्तक 'भारिया देवलोक''का लोकार्पण भी हुआ।

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