जानिए इससे पहले कब हुई थी राज्यसभा में निलंबन की अभूतपूर्व कार्रवाई और फाड़ा गया था बिल


कृषि बिल को लेकर संसद से सड़क तक संग्राम जारी है. इस महासंग्राम के बीच विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का वक्त मांगा है. विपक्ष की ओर से अपील की जाएगी कि राष्ट्रपति दोनों कृषि बिलों पर अपने हस्ताक्षर ना करें और वापस इन्हें राज्यसभा में भेज दें.

इस दौरान विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति को रविवार को राज्यसभा में क्या हुआ, इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी. रविवार को ही विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा में ध्वनिमत से कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी गई.

विपक्षी पार्टियों की ओर से इस दौरान आठ राज्यसभा सांसदों को सस्पेंड करने का मसला भी उठाया जाएगा. इसके अलावा विपक्ष इस मसले को कल एक बार फिर राज्यसभा में उठाएगा. 

आपको बता दें कि कृषि बिल को लेकर लगातार बवाल हो रहा है. रविवार को विपक्ष के हंगामे के बीच बिल पास हो गया, लेकिन इस दौरान संसद में काफी बवाल हुआ. कई विपक्षी सांसदों ने उपसभापति की चेयर पर रखे पर्चे फाड़े और माइक भी तोड़ दिया. 

इसी पर एक्शन लेते हुए सोमवार को राज्यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने कुल आठ सांसदों को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया. इनमें संजय सिंह, डेरेक ओब्रायन समेत अन्य सांसद शामिल हैं. सस्पेंड किए जा चुके सभी सांसद सोमवार सुबह से ही धरने पर बैठे हैं, पहले ये धरना सदन के अंदर था और अब संसद परिसर में हो रहा है. 

किसान बिल को लेकर सरकार और विपक्ष में ठनी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को अपने संबोधन में विपक्ष को जवाब दिया और किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा कि इन कानूनों के बाद किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी मिलेगी, लेकिन विपक्ष किसानों से झूठ बोल रहा है.

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