"पदोन्नति नियम 2025 पर मप्र हाईकोर्ट में बड़ा कानूनी संग्राम अब 9 सितंबर को,सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकीलों की टीम उतरेगी मैदान में"
जबलपुर|न्यूज़ डेस्कमध्यप्रदेश में लागू लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को लेकर कानूनी जंग अब और तेज हो गई है।इन नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई अब 9 सितंबर 2025 को हाईकोर्ट की मुख्यपीठ, जबलपुर में होगी।यह मामला सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं,बल्कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और हजारों सरकारी कर्मचारियों के भविष्य से सीधा जुड़ा है।
12 अगस्त को नहीं हो सकी सुनवाई
पहले यह मामला 12 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था,लेकिन उस दिन मुख्य न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ उपलब्ध न होने से सुनवाई टल गई।आज,14 अगस्त को हुई संक्षिप्त सुनवाई में शासन की ओर से अदालत से अगली तारीख 9 सितंबर तय करने का अनुरोध किया गया,जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी।
सरकार की ओर से दिग्गज वकीलों की टीम तैयार
इस महत्वपूर्ण सुनवाई में सरकार का पक्ष रखने के लिए देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता,सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस.वैद्यनाथन,और मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह अदालत में पेश होंगे।कानूनी हलकों में इस टीम को बेहद मजबूत माना जा रहा है।
क्यों है यह मामला इतना अहम?
लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 में पदोन्नति के मापदंड और प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये प्रावधान संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं और वरिष्ठता-योग्यता के संतुलन को तोड़ते हैं।वहीं,शासन का तर्क है कि ये संशोधन दक्षता,पारदर्शिता और मेरिट को प्राथमिकता देने के लिए जरूरी हैं।
संभावित असर
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट का फैसला इस नीति के भविष्य को ही नहीं,बल्कि हजारों कर्मचारियों की पदोन्नति की संभावना,वेतन वृद्धि और करियर ग्राफ पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।यह सुनवाई मप्र के प्रशासनिक ढांचे में दूरगामी बदलाव का रास्ता खोल सकती है।