Jabalpur Top:राखी के धागे,जेल की दीवारें—जबलपुर केंद्रीय जेल में एक बहन की नज़र से रक्षाबंधन...

राखी के धागे,जेल की दीवारें—जबलपुर केंद्रीय जेल में एक बहन की नज़र से रक्षाबंधन...

जबलपुर/रक्षाबंधन स्पेशल —

सुबह की हल्की धूप में जब मैं जबलपुर केंद्रीय जेल के गेट पर पहुंची,तो मन में एक अजीब सा उत्साह और बेचैनी थी।आज राखी थी—लेकिन इस बार अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए मुझे मिठाई का डिब्बा,घर की बनी राखी या कोई गिफ्ट साथ लाने की इजाज़त नहीं थी।

गेट पर सुरक्षा जांच के बाद मुझे एक छोटा सा पैकेट मिला—50 रुपये की "राखी किट"।इसमें राखी, कुमकुम,मिठाई और थोड़ा फल था,पैकेट पर जेल प्रशासन की मुहर लगी थी।

जेल के भीतर त्योहार का अलग रंग

जेल की ऊँची दीवारों और लोहे की सलाखों के बीच भी त्योहार की हलचल थी,हर बहन के हाथ में वही पैक्ड किट,हर चेहरे पर इंतज़ार।जब मेरा भाई सामने आया,तो उसकी आंखों में खुशी की चमक थी — शायद महीनों बाद उसने अपने परिवार का कोई अपना देखा था।

मैंने उसके माथे पर कुमकुम लगाया,राखी बांधी और मिठाई का छोटा सा टुकड़ा उसके मुंह में रखा,हम दोनों चुप थे,लेकिन उस चुप्पी में हज़ार बातें थीं—घर की, बचपन की,और उन दिनों की जब हम आज़ाद थे।

नियम के पीछे की वजह

जेल के अधिकारी बताते हैं कि अब बाहर से सामान लाने पर रोक इसलिए है,ताकि त्योहार के बहाने अवैध वस्तुएं अंदर न पहुंच सकें।पिछले साल कई बार मिठाई के डिब्बों में तंबाकू,सिगरेट और नशीली चीजें पकड़ी गई थीं।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर कहते हैं—

“हम चाहते हैं कि त्योहार की मिठास बनी रहे, लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।”

त्योहार,जो दीवारों को पिघला देता है

जेल की दीवारें चाहे कितनी ऊँची हों,रक्षाबंधन का धागा उन्हें पार कर जाता है,आज,एक बहन के लिए यह किट सिर्फ मिठाई और राखी नहीं थी—यह उम्मीद थी,कि अगली बार यह मुलाकात सलाखों के बिना होगी।


Post a Comment

Previous Post Next Post
eaglenews24x7

क्या कहते है सितारे