राजस्व व्यवस्था में 'संस्थानिक क्रांति'—जबलपुर बना मध्यप्रदेश का पहला'पूर्णकालिक न्याय तहसील जिला'
अब राजस्व न्यायालयों में सुनवाई होगी ऑफिस टाइम पर —10 बजे से 6 बजे तक,अधिकारी नहीं निभाएंगे कोई दूसरा रोल!
22 जुलाई से लागू होगी ‘नई तहसीली संस्कृति’ — हर पक्षकार को मिलेगा एक समर्पित न्याय मंच
जबलपुर,म.प्र.जिला प्रशासन ने राजस्व न्यायिक व्यवस्था में ऐसा बदलाव कर दिया है,जिसे प्रशासनिक भाषा में "संस्थानिक क्रांति" कहा जा सकता है।अब तक तहसीलों में राजस्व अधिकारी एक ही समय में कई कामों की जिम्मेदारी निभाते थे — कभी पटवारी की शिकायतें,कभी कानून व्यवस्था तो कभी नामांतरण जैसे केस।लेकिन अब जबलपुर जिला मध्यप्रदेश का पहला ऐसा जिला बना है जहां तहसीलों में केवल और केवल न्याय का काम होगा — वह भी तय समय पर और बिना व्यवधान के।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 22 न्यायालयों को बढ़ाकर 27 कर दिया है, और साथ ही आदेश दिया है कि हर न्यायालय सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक नियमित रूप से खुले रहेंगे।अधिकारी अब किसी VIP ड्यूटी या कानून व्यवस्था के काम में नहीं लगाए जाएंगे,यानी अब राजस्व न्याय मिलेगा,स्थगन नहीं।
22 जुलाई को पक्षकारों और अधिवक्ताओं की ‘जनसुनवाई बैठक’
हर तहसील में 22 जुलाई को एक खास बैठक आयोजित की जाएगी,जहां जनप्रतिनिधि,अधिवक्ता, पक्षकार और अधिकारी एक मंच पर बैठकर नए न्यायालयीन ढांचे को समझेंगे,सवाल पूछेंगे और सुझाव भी देंगे।
अब तहसीलदार ‘केस मैनेजर’ होंगे,‘मैदानी अफसर’नहीं!
यह बदलाव केवल संख्या का नहीं,सोच का है।
अब तहसीलदार,नायब तहसीलदार और अन्य अधिकारी केवल राजस्व न्यायालयीन मामलों में ही कार्यरत रहेंगे।वे अब पोर्टलों की बैठक,VIP के स्वागत या कानून व्यवस्था की गाड़ी में नहीं दिखेंगे।
इसके साथ ही हर अधिकारी को RCMS पोर्टल पर रोज़ाना ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करनी होगी।यानी अब कोई फाइल"अफसर साहब टूर पर हैं" कहकर रुकेगी नहीं।
सुधार का मॉडल,बाकी जिलों के लिए मिसाल बनेगा जबलपुर
यह व्यवस्था केवल व्यवस्था नहीं — एक विज़न है। अब हर तहसील,हर प्रकरण,हर पक्षकार को समय पर न्याय और त्वरित सुनवाई का भरोसा मिलेगा।
गौर करें:
अब हर न्यायालय में अलग अधिकारी
हर कार्य के लिए तय समय
गैर-न्यायालयीन कार्यों के लिए अलग 14 अफसर
RCMS पोर्टल से ट्रैकिंग
जनप्रतिनिधियों के सुझावों के लिए खुला मंच
निष्कर्ष में:
“न्यायिक व्यवस्था को समय, संरचना और संकल्प से जोड़ने वाला निर्णय—जबलपुर से शुरू हुई तहसील न्याय की नई परंपरा!”