Supreme Court:न्यायाधीशों के खिलाफ FIR:कानूनी द्वंद्व की जटिल शुरुआत और इसके परिणामों की पड़ताल...

नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के कुछ जजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि किस कानून के तहत मुकदमा चले। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले में जस्टिस एस. मुरलीधर को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। कोर्ट ने पूछा कि किसी न्यायाधीश पर उसके फैसले के लिए मुकदमा कैसे चलाया जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि हमें बताइए कि किस कानून के तहत आपके खिलाफ फैसला देने वाले जजों पर एफआईआर दर्ज किया जा सकता है? केवल इसलिए कि आपको फैसला पसंद नहीं आया, आप एफआईआर की मांग नहीं कर सकते है।


मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दावा किया गया वह परीक्षा में टॉपर थे, लेकिन सभी जजों ने उनके मामले को उचित तरह से नहीं सुना। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश दिया है कि वह नियुक्त एमिकस क्यूरी को सभी दस्तावेज मुहैया कराए ताकि वे अदालत की मदद कर सके। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने समीक्षा याचिका खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में कोई ऐसी गलती नहीं दिखती, जिससे पहले के फैसले पर दोबारा विचार करने की जरूरत हो। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि फैसले में कई तथ्यात्मक गलतियां हैं, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को गलत ठहराया और कहा कि उन्होंने पूरे फैसले की बजाय केवल चुनिंदा हिस्सों को अपने पक्ष में पेश किया है।


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