Crime News:मौत की स्याही में लिखा गया पड़ोसी का रिश्ता:रायपुर में दो भाइयों की करतूत ने खोले कई राज...

शहर की शांति पर खूनी धब्बा — पड़ोसीपन का अंत हिंसा में

रायपुर, छत्तीसगढ़।
रिश्तों के इस शहर में, पड़ोस का रिश्ता भी कभी-कभी नफरत का ऐसा रूप ले लेता है कि मौत जैसे भीषण अंजाम को भी सामान्य मान लिया जाता है। खहरडीह क्षेत्र के भवानी नगर में शनिवार की रात एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जब दो भाइयों ने मिलकर अपने पड़ोसी को सिर्फ इसीलिए मार डाला क्योंकि वह उनके घर तब आता था जब वे मौजूद नहीं होते थे।

 क्या था मामला — एक तरफा रंजिश, हत्या में तब्दील

पुलिस सूत्रों के अनुसार, मृतक की पहचान सुनील राव के रूप में हुई है, जो आरोपी राहुल यादव उर्फ दादू और उसके छोटे भाई ओमप्रकाश यादव उर्फ प्रकाश उर्फ साधु का पड़ोसी था।
सुनील अक्सर राहुल के घर उस समय पहुंच जाता था जब वे घर में नहीं होते थे। इस बात को लेकर तीनों के बीच पूर्व में भी विवाद हुआ था, लेकिन यह रंजिश हत्या तक पहुंच जाएगी, किसी ने सोचा नहीं था।

शनिवार की रात करीब 9.30 बजे, सुनील जैसे ही पास के मैदान की ओर गया, दोनों भाइयों ने उसे वहीं घेर लिया।
आरोपियों ने पहले सुनील को घसीटा, फिर लोहे की रॉड और कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार किए। यह हमला इतना वीभत्स था कि सुनील की मौके पर ही मौत हो गई।

 पुलिस की तत्परता से गिरफ्त में आए दोनों आरोपी

घटना की जानकारी मिलते ही खहरडीह थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
सामाजिक आक्रोश और पीड़ित परिवार के दबाव को देखते हुए पुलिस ने तत्परता दिखाई और देर रात ही दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया है।
रविवार को उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

हत्या या आत्म-सुरक्षा? पुलिस की जांच के घेरे में कई सवाल

  • क्या यह हत्या किसी गहरी साजिश का हिस्सा थी?

  • सुनील राव अक्सर आरोपियों के घर क्यों जाता था?

  • क्या उस ‘आना-जाना’ में कोई संदेहास्पद कारण था या केवल संयोग?

  • क्या मोहल्ले में पहले से यह तनाव बना हुआ था, जिसे पुलिस नजरअंदाज कर रही थी?

पुलिस इन सभी पहलुओं पर जांच कर रही है, और सूत्रों के मुताबिक सीसीटीवी फुटेज व मोबाइल रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं।

 कानून से बड़ा कोई बदला नहीं हो सकता — 

कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसी को किसी के व्यवहार से परेशानी है, तो उसका हल कोर्ट, थाना और सामाजिक माध्यमों से निकाला जाना चाहिए। न्याय को हथियार के बल पर हासिल करने का प्रयास एक जघन्य अपराध है, जिसकी सजा कठोर होनी चाहिए।

 मोहल्ले में खौफ — “अब डर लगता है बच्चों को भी भेजने में”

घटना के बाद भवानी नगर मोहल्ले में दहशत का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुनील का व्यवहार कैसा था, यह तो निजी बात है, लेकिन हत्या किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकती।

एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया —

“अब तो पड़ोसी का दरवाज़ा भी सोच-समझकर खटखटाना पड़ेगा। किस बात पर कौन कब नाराज़ हो जाए, कुछ क


हा नहीं जा सकता।”

: जब ‘घर आना’ बना मौत का कारण

यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, समाजिक विघटन का संकेत है। जब संवाद खत्म हो जाए, और हथियार बोलने लगें — तब पड़ोसी ही सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। इस घटना ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि
 क्रोध और शंका मिलकर एक मानव बम बनाते हैं, जो कभी भी फट सकता है।

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