सपनों की फसल बोकर महिलाओं की मेहनत, उम्मीद और भरोसे को लूटने वाला शातिर आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ गया। यह मामला सिर्फ ठगी का नहीं, बल्कि उस सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रहार है, जहां आर्थिक आत्मनिर्भरता की चाहत को धोखे का रास्ता बना लिया गया। परसदाजोशी सहित आसपास के गांवों की महिलाओं को ‘घर बैठे काम’ का लालच देकर करीब 15 लाख रुपये की ठगी को अंजाम देने वाला आरोपी अब सलाखों के पीछे है।
ठगी की कहानी, जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं
राजिम थाना क्षेत्र में रहने वाली 42 वर्षीय ममता साहू ने जब शनिवार को थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई, तो पुलिस के भी होश उड़ गए। रायपुर के रामकुंड निवासी सत्येन्द्र सोनकर नामक शख्स ने स्वयं को 'स्वाभिमान फाउंडेशन' का प्रतिनिधि बताकर ममता को फोन किया। उसने वादा किया कि महिलाओं के छोटे-छोटे समूह बनाकर उन्हें अगरबत्ती, पेन-पेंसिल निर्माण और सेनेटरी पैड पैकिंग जैसे घरेलू काम दिए जाएंगे। शुरुआत में समूह को मशीन और कच्चा माल देने की बात कही गई। इसके लिए प्रत्येक महिला से 20-20 हजार रुपये की ‘पंजीयन राशि’ मांगी गई।
सिर्फ काम नहीं, सपने बेचे गए
महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की आस में आगे आईं। ममता ने स्वयं 20 हजार रुपये जमा किए और गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। देखते-ही-देखते, चेन नेटवर्किंग के जरिए यह जाल आसपास के गांवों तक फैल गया। कहीं बहू ने सास को जोड़ा, तो कहीं बहन ने बहन को। इस तरह करीब 15 लाख रुपये की ठगी कर सत्येन्द्र फरार हो गया।
पुलिस की तत्परता से गिरफ्त में आया आरोपी
पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की। आरोपी सत्येन्द्र सोनकर को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश रचने और आर्थिक अपराध के तहत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि सत्येन्द्र के नेटवर्क की जांच की जा रही है और यह पता लगाया जा रहा है कि कहीं वह किसी बड़े गैंग से तो नहीं जुड़ा है।
सवाल कई हैं, जवाब भी चाहिए
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इस तरह के फर्जी ‘फाउंडेशन’ कितने सक्रिय हैं?
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प्रशासनिक स्तर पर क्या ऐसे मामलों की कोई स्क्रीनिंग होती है?
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आर्थिक आत्मनिर्भरता की चाहत रखने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या तंत्र है?
इस तरह के प्रलोभनों से सावधान रहें। कोई भी संस्था यदि काम देने से पहले पैसे की मांग करती है, तो सतर्क हो जाएं। किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसके पंजीकरण, कार्यालय और पूर्व रिकॉर्ड की पूरी जानकारी जरूर लें।
आत्मनिर्भरता का सपना अब विश्वास के पहरे में
यह मामला उन हजारों-लाखों महिलाओं की आंखें खोलने वाला है जो अपने परिवार को संबल देने
के लिए मेहनत करना चाहती हैं। यह केवल एक ठगी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता के नाम पर
सामाजिक शोषण का भी घिनौना चेहरा है।
अब जरूरत है एक
सुदृढ़ और जवाबदेह प्रणाली की, जो न केवल महिलाओं के श्रम की रक्षा करे, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और विश्वास की भी।