सागर में सामूहिक आत्महत्या से दहला इलाका: एक ही परिवार के चार लोगों ने साथ छोड़ी दुनिया, वजह बनी पहेली

शुक्रवार की रात जब पूरा गांव सन्नाटे में लिपटा था, तब सागर जिले के खुरई थाना क्षेत्र के टीहर गांव में एक ऐसा मंजर सामने आया जिसने न केवल ग्रामीणों को झकझोर दिया, बल्कि पुलिस महकमे को भी सकते में डाल दिया। एक ही परिवार के चार सदस्यों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली। खेत में बने अपने मकान में शांत जीवन बिता रहे लोधी परिवार की यह अंत की कहानी इतनी रहस्यमयी है कि कई सवाल खड़े कर गई है, जिनके जवाब फिलहाल अधूरे हैं।

रात के सन्नाटे में गूंजीं चीखें, भाई ने देखे मौत के लक्षण

शुक्रवार देर रात करीब 1 बजे नंदराम लोधी ने अपने मकान की ऊपरी मंजिल से कुछ आवाजें सुनीं—घबराहट, उल्टियों की आवाजें, और फिर चीखें। नीचे उतरकर जो दृश्य उसने देखा, वह किसी डरावने सपने से कम नहीं था। उसका भाई मनोहर (45), मां फूलरानी (70), भतीजी शिवानी (18) और भतीजा अनिकेत (16) ज़मीन पर तड़प रहे थे। सभी के मुंह से झाग निकल रहा था। नंदराम ने बिना देरी किए पुलिस और पड़ोसियों को सूचना दी।

अस्पताल नहीं पहुंच पाए सभी, मौत ने बीच रास्ते में लिया गले

ग्रामीणों की मदद से चारों को तुरंत खुरई अस्पताल ले जाया गया, परंतु दुर्भाग्य यह रहा कि फूलरानी और अनिकेत की मौत घर पर ही हो चुकी थी। शिवानी ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया, जबकि मनोहर की सांसे भी जिला अस्पताल ले जाते समय थम गईं। डॉक्टरों ने ज़हर खाने की आशंका जताई है, पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है।

सामूहिक आत्महत्या की कोई ठोस वजह नहीं, सुसाइड नोट भी गायब

पुलिस को घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। न ही ऐसा कोई संकेत मिला है जिससे यह कहा जा सके कि परिवार आर्थिक तंगी, घरेलू कलह या सामाजिक दबाव जैसी किसी समस्या से जूझ रहा था। मनोहर की पत्नी कुछ दिनों पहले मायके गई हुई थीं, जिससे वह इस पूरी घटना से बाहर रहीं।

खुरई पुलिस थाना प्रभारी ने बताया, “मामला संवेदनशील है। परिजनों और ग्रामीणों से पूछताछ की जा रही है। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है, ताकि मौत के कारणों की पुष्टि हो सके। हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं।”

परिवार था शांत और सामान्य, फिर क्या हुआ ऐसा?

गांव वालों के मुताबिक लोधी परिवार गांव में शांत और मिलनसार माना जाता था। न कोई दुश्मनी, न कोई हालिया विवाद। मनोहर खेतों में मेहनत कर अपने परिवार का गुज़ारा करता था। बेटी कॉलेज जाती थी, बेटा स्कूल में पढ़ता था। मां की उम्र भले ही अधिक थी, लेकिन वह भी स्वाभाविक जीवन जी रही थीं।

ऐसे में चार लोगों का एक साथ आत्महत्या करना पूरे गांव के लिए गहरी पहेली बन चुका है। ग्रामीण स्तब्ध हैं और पुलिस पर जवाबों का दबाव है।

एक सवाल जो हर किसी को सता रहा है – क्या यह आत्महत्या थी या कुछ और?

भले ही शुरुआती दृष्टि में यह एक सामूहिक आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा हो, लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि कहीं यह कोई साजिश तो नहीं? क्या परिवार पर कोई मानसिक या सामाजिक दबाव था? क्या भीतर ही भीतर कोई ऐसी बात चल रही थी जिससे वे लोग टूट चुके थे? या फिर ये मौतें किसी ज़हरीले पदार्थ के सेवन का नतीजा थीं, जो दुर्घटनावश हुआ?

इन तमाम सवालों के ज


वाब अब पुलिस जांच और फॉरेंसिक रिपोर्ट पर टिके हैं।

समाज और प्रशासन दोनों के लिए चेतावनी

टीहर गांव की यह त्रासदी एक बार फिर इस बात की चेतावनी दे रही है कि गांव हो या शहर, पारिवारिक मानसिक दबाव और सामाजिक असंतुलन कितने गहरे असर छोड़ सकते हैं। यह घटना केवल एक खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए आईना है।

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