सहारा ग्रुप का साजिशन सौदा:सुप्रीम कोर्ट की शर्तें तोड़ीं,निवेशकों को थमाया धोखा...
भोपाल।जबलपुर।कटनीमध्यप्रदेश में सहारा ग्रुप की जमीनों को लेकर एक ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है,जिसने न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाईं,बल्कि हजारों निवेशकों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया।
EOW(आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो)ने सहारा की संदिग्ध संपत्ति बिक्री के मामले में शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कर ली है।इस पूरे मामले में कॉर्पोरेट कंट्रोल हेड सीमांतो रॉय की प्रत्यक्ष भूमिका उजागर हुई है।
सौदा सस्ता,साज़िश भारी
जिन जमीनों की वास्तविक बाज़ार कीमत लगभग 1000 करोड़ रुपए आँकी गई थी,उन्हें महज़ 98 करोड़ में बेच दिया गया।सबसे बड़ा सवाल ये कि इतनी बड़ी संपत्ति के सौदे में कोर्ट की शर्तों को ताक पर क्यों रखा गया?
सुप्रीम कोर्ट को दिखाया ठेंगा,निवेशकों का पैसा डुबोया
सुप्रीम कोर्ट और SEBI ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सहारा ग्रुप द्वारा किसी भी संपत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि मुंबई स्थित SEBI-Sahara Refund Account में जमा कराई जाए,ताकि उससे निवेशकों का बकाया चुकाया जा सके।
लेकिन हकीकत इससे उलट निकली —
बिक्री की रकम को शैल कंपनियों में घुमा दिया गया, निवेशकों को एक भी पैसा नहीं दिया गया।
शिकायतकर्ता की मुहिम रंग लाई,FIR में खुलासे की बौछार
इस घोटाले की नींव फरवरी में पड़ी जब आशुतोष मनु दीक्षित नामक नागरिक ने गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत की।
EOW ने महीनों की जांच के बाद पाया कि:
•जबलपुर और कटनी में जमीन बिक्री का निर्णय सीधे सीमांतो रॉय की जानकारी में हुआ।
•भोपाल में DGM जेबी रॉय की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई।
•72.82 करोड़ रुपए का खुला घोटाला
अब तक की जांच में ये सामने आया है कि
📌 कम से कम 72.82 करोड़ रुपए की राशि का गबन हुआ है,
📌 भोपाल और सागर की डील में 62.52 करोड़ रुपए तक सेबी खाते में नहीं डाले गए,
📌 ग्वालियर,जबलपुर,कटनी–सब जगह पैसों की हेराफेरी हुई।
सहारा सिटी’ बना कागज़ी सपना
•देशभर में ‘सहारा सिटी’ के नाम से प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए गए थे। लोगों से भारी निवेश करवाया गया।
•लेकिन जब भुगतान लौटाने की बारी आई,तो झूठे सौदों, शैल कंपनियों और नियम तोड़ने का खेल शुरू हो गया।
अब क्या होगा?
EOW के मुताबिक सीमांतो रॉय और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर धोखाधड़ी,आपराधिक षड्यंत्र और आर्थिक गबन की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
👉 पूछताछ जल्द शुरू होने की संभावना है,
👉 जांच का दायरा अन्य शहरों तक बढ़ाया जाएगा।
सहारा की जमीनें बिक चुकी हैं,लेकिन निवेशकों का भरोसा अभी भी सवालों के घेरे में है,क्या उन्हें कभी उनका हक मिलेगा?