भारतीय राजनीति में वरिष्ठता का सम्मान लंबे स
मय तक सर्वोच्च मूल्य रहा है। परंतु बीते कुछ वर्षों में उम्र की सीमाओं और युवाओं को अवसर देने के नाम पर जिस प्रकार वरिष्ठ नेताओं को किनारे किया जा रहा है, उस पर अब विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं।
इसी क्रम में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के 75 वर्ष की उम्र के बाद 'साइडलाइन' की नीति पर तीखा प्रतिवाद जताया।
कुसमारिया ने कहा, "क्या बाप-महतारी को कचरे में डाल दोगे? समाज में जिस प्रकार बुजुर्गों की उपेक्षा हो रही है, वैसा ही अब राजनीति में भी होने लगा है।" उन्होंने इस अवसर पर बुंदेलखंड की कहावत को उद्धृत करते हुए स्पष्ट किया कि 'बुजुर्गों के साथ काम ज्यादा बेहतर होता है'।
यह बयान उस समय आया है जब भाजपा में 75 वर्ष पार कर चुके नेताओं की भूमिका को लेकर गहन मंथन चल रहा है।
