मध्यप्रदेश पुलिस ने सामाजिक न्याय विभाग के समन्वय से एक ऐसा अभियान शुरू किया है
, जो केवल नशा-विरोधी कार्यक्रम नहीं बल्कि राज्य की सामाजिक संरचना को सशक्त बनाने का प्रयास है। 15 जुलाई से 30 जुलाई तक चलने वाला यह कार्यक्रम बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ युवाओं, किशोरों और समाज के संवेदनशील वर्गों को मादक पदार्थों की गिरफ्त से बचाने की दिशा में एक नीतिगत हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है।
पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा के अनुसार, "यह केवल अपराध नियंत्रण का विषय नहीं, यह सामाजिक पुनर्गठन की प्रक्रिया है।" राज्य सरकार का यह निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि अब नशा नियंत्रण को केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक विकृति के रूप में देखा जा रहा है।
अभियान में शिक्षा, स्वास्थ्य, नगरीय विकास से लेकर धर्मिक संस्थानों तक की सहभागिता यह संकेत देती है कि सरकार बहु-हितधारक सहभागिता मॉडल पर कार्य कर रही है। खासतौर से छात्रावासों में "नशामुक्त समिति" का गठन इस अभियान की दीर्घकालिक सोच को दर्शाता है।


