यह सिर्फ एक सोना तस्करी की घटना नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा व्यवस्था के भीतर की खामियों को उजागर करने वाली केस स्टडी बन चुकी है। अबू धाबी से एक तस्कर पेस्ट फॉर्म में सोना लाया, मुंबई में उसे विमान में ही छोड़कर बाहर निकल गया, और फिर उसी फ्लाइट को ट्रैक कर केलकत्ता से चढ़ा और चेन्नई में पकड़ लिया गया।
वह एक बार नहीं, बल्कि दो बार फर्जी पहचान से यात्रा कर पाया। उसने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध उड़ान ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर पूरे सिस्टम को मात देने की कोशिश की।
यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है कि सिर्फ चेकिंग और डिटेक्टर से तस्करी नहीं रुकेगी, बल्कि तकनीकी समझ रखने वाले अपराधियों के खिलाफ रणनीतिक सोच और डिजिटल निगरानी की ज़रूरत है।
