ईरान से बचकर भारत आए छात्रों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर देश की कूटनीतिक सफलता के प्रतीक के रूप में पेश की जा रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली एयरपोर्ट से श्रीनगर तक जाने के लिए उन्हें जिन बसों में भेजा जा रहा है, उनकी हालत बेहद चिंताजनक है।
छात्रों के अनुसार, “इन बसों में जानवर भी न बैठें।”यह घटना केंद्र और राज्य की साझा असफलता को उजागर करती है—एक तरफ ऑपरेशन सिंधु की कामयाबी की तारीफें हो रही हैं, वहीं जमीनी स्तर पर छात्र घंटों एयरपोर्ट पर खड़े इंतजार कर रहे थे।
क्या सिर्फ सोशल मीडिया बयानबाज़ी और फोटो-ऑप्स ही हमारी मानवीय नीतियों का चेहरा बन गई हैं?