1. कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: महिला और आरोपी की इच्छा पर आधारित था उनका संबंध

11 साल का सहजीवनरामगढ़ के चक्रधर से सामने आए मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक युवक को रेप के आरोप से बरी कर दिया है। इस मामले में विवाद तब खड़ा हुआ जब एक महिला ने कहा था कि युवक ने उसे शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए। महिला, जो बिलासपुर की रहने वाली और एक एनजीओ में कार्यरत थीं, ने आरोप लगाया कि युवक ने उसकी मर्ज़ी के खिलाफ धोखे में संबंध स्थापित किए।

मामले की जड़ 2008 में है, जब युवक ने महिला से मुलाकात की और उसे किराए पर मकान दिलाकर पति-पत्नी की तरह जीने का आश्वासन दिया। दोनों के बीच 11 साल का सहजीवन हुआ और इस दौरान तीन बच्चे भी हुए। 2019 में युवक का अचानक रायपुर जाना और वापस न लौटना ही उस मुक़ाम का कारण बना, जिसके बाद महिला ने रेप का मुकदमा दर्ज कराया।

हालांकि कोर्ट ने यह तर्क दिया कि यदि महिला ने इतने लंबे समय तक अपने आप को युवक का पति माना, तो अब यह साबित करना मुश्किल होगा कि संबंध असहमत या धोखे से स्थापित हुए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से न्यायालय ने रायगढ़ के फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
, बच्चे भी हुए – फिर भी रेप केस पर कोर्ट ने दी धज्जियों की मंज़ूरीछत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में निर्णय देते हुए रेप के आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। मामला एक महिला का था, जिन्होंने आरोपी पर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने निर्णय दिया कि अगर महिला लंबे समय तक अपनी इच्छा से आरोपी के साथ रह रही थी और उसे अपना पति मानती थी, तो इसे धोखे में रखकर किया गया यौन संबंध नहीं माना जा सकता।

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