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ना जाने कर्मचारियों की समस्याओं का कब होगा निराकरण,कैसे सुधार आयेगा कर्मचारियों के हालातों पर...
ब्यूरो रिपोर्ट...
जबलपुर।।हम यदि पूरे वर्ष भर में धरना प्रदर्शन,रेंलियां,आंदोलन, ज्ञापन,सांकेतिक प्रदर्शन,काली पट्टीयां बांधकर विरोध प्रदर्शन, नारेबाजी,भूख हड़ताल इत्यादि ना जाने कितने जतन हुये।परन्तु प्रदेश सरकार टस से मस नहीं हुई,नाम मात्र की छुट-पुट समस्याओ का निराकरण तो किया पर वो भी झुनझुना पकड़ने जैसा ही था।किसी ठोस मुद्दे पर चर्चा तक के लिए समय नहीं दिया,इतनी भीषण मंहगाई के दौर में भी पेंशनर्स का 27 माह का डी.ए नहीं दिया गया ओर तो ओर महंगाई भत्ता रो रोकर दिया गया।संविदा कर्मी, आंगनवाड़ी आशा-उषा कार्यकर्त्ता,आउट सौर्स कर्मी,दैनिक वेतन कार्यभारित कर्मी कोई नहीं बचा जो समस्याओ से ग्रस्त ना हो और लाचार,बेबस ना हो।
ऐसे में पूरे प्रदेश के सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी निराश, परेशान,हलाकान है,क्योंकि सारे जतन कर लिए पर निराशा ही हाथ लगी।सरकार को सजगता के साथ अब इस चुनावी वर्ष में लोकसेवकों का भी ध्यान रखना चाहिये।क्योंकि अत्यधिक हताशा, बेहद परेशानियां,समस्याओ के निदान के लिए हर संभव प्रयास के बाबजूद मेहनत का फल ना मिले तो कुछ भी संभव नहीं है अर्थात चाणक्य के अनुसार परिवर्तन अच्छे परिणाम के लिए आवश्यक है और तत्काल समाधान विरोध को पस्त कर देता है,विरोधी स्वर नांद स्वमेव बंद हो जाते है,समय बहुत ही बलवान होता है।
वही इन सभी बिंदुओं पर मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर एवं सभी पदाधिकारी और सदस्यों ने प्रदेश के अति संवेदनशील मुख्यमंत्री से मांग की है,कि प्रदेश के 50 से अधिक विभागों के लाखों अधिकारीयों-कर्मचारियों एवं उनके आश्रित परिवारजनों के बारे में सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लेने का कष्ट करें।