मध्य प्रदेश के मनीष अग्रवाल ने रिश्तेदार की सरकारी नौकरी के दम पर,वेयरहाउस में जमाखोरी जैसे घिनौने काम को दिया अंजाम...

एक्सक्लूसिव अपडेट...

मध्य प्रदेश के मनीष अग्रवाल ने रिश्तेदार की सरकारी नौकरी के दम पर,वेयरहाउस में जमाखोरी जैसे घिनौने काम को दिया अंजाम...

विक्की झा।।भारत में अनाज के भंडारण को लेकर सरकार द्वारा सतर्क होने के बाद से ही,भारत के कई राज्यों में अनाज भंडारण को लेकर काफी फायदे और लाभ वेयरहाउसेस को मिलते दिखाई दे रहे हैं,ऐसे में मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा अनाज को सुरक्षित रखने और उसके भंडारण को लेकर कई सारे आवश्यक उपायों पर विचार विमर्श किया जा रहा,वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इसे मिट्टी में मिलाने पर तुले हुए हैं,ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के मटावा ग्राम वेयरहाउस संचालक मनीष अग्रवाल द्वारा,जाली दस्तावेजों की मदद से अधबने वेयरहाउस में भंडारण और जमाखोरी जैसा घिनौना कार्य किया जा रहा हैं।

हाल ही में मनीष अग्रवाल द्वारा अधबने वेयरहाउस में भंडारण और जमाखोरी की जानकारी मिलने के तुरंत बाद हमारे संवाददाता ने अपनी टीम के साथ मौका-ए-वारदात पर पहुंच, इस पूरे घटनाक्रम का जायजा लिया,जिसमें यह बात स्पष्ट हो गई कि,कुछ घूसखोर वेयरहाउस संचालक आला अधिकारियों के बिना छानबीन लाइसेंस मुहैया कराने के कारण,मध्य प्रदेश के कई इलाकों में वेयरहाउसेस के नाम पर अनाज का अवैध रूप से भंडारण और जमाखोरी जैसे घिनौने काम किया जा रहा है।

मामले से जुड़ी खबर विस्तार पूर्वक जानने के लिए यहां देखें:


जैसा कि आप सभी जानते हैं,भारत में लगे लॉकडाउन के बाद से ही भारत सरकार वेयरहाउसेस और अनाज भंडारण को लेकर काफी सतर्क और सचेत दिखाई दे रही है।ऐसे में मध्यप्रदेश राज्य और सरकार भी इस में अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं,जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री संकट से पहले अनाज को लेकर और उसके भंडारण को लेकर काफी कुछ विचार करते और नई सोच लाते दिखाई दे रहे है,वहीं कुछ ऐसे सरकारी आला अधिकारी है जो अभी तक अपनी हरकतों और घूसखोरी की आदतों से बाज ही नहीं आ रहें हैं। 

ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के सिवनी जिला के मटावा ग्राम में मां सरस्वती,मां लक्ष्मी,मां पार्वती इन तीनों वेयरहाउस का संचालन करने वाले मनीष अग्रवाल द्वारा किया जा रहा है.. मनीष अग्रवाल आजकल इन तीन वेयरहाउस के अलावा और भी कई नए वेयर हाउस के निर्माण और उसके लाइसेंस को लेकर सरकारी दफ्तरों के आगे पीछे दुम की तरह लटके दिखाई दे रहे हैं।जहां सूत्रों द्वारा खबर आई है कि,अभी हाल ही में मनीष अग्रवाल ने अपने अधबने वेयरहाउस में सरकारी कर्मचारियों के भीतर बसे अपने रसूख के दम पर मध्यप्रदेश के कुछ आला अधिकारियों द्वारा, जाली दस्तावेज तैयार कर भंडारण का लाइसेंस ले लिया है, आपकी जानकारी के लिए बता दें जिस वेयरहाउस को भंडारण का लाइसेंस दिया गया है,उसका निर्माण कार्य तो दूर की बात, अभी तक तो बैंक द्वारा मिली दो करोड़ की स्वीकृत राशि भी प्राप्त नहीं हुई,सूत्रों के अनुसार मार्च 2022 में एक-एक लाख रुपये की राशि वेयर हाउस के निर्माण कार्यो के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया छपारा ब्रांच के द्वारा दी गई थी,जबकि वेयरहाउस के निर्माण के लिए 2-2 करोड रुपए का लोन स्वीकृत किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि,इन वेयरहाउसो के निर्माण कार्य के लिये बैंक ने जो राशि स्वीकृत की है,उस राशि का 30% हिस्सा भी अभी बैंक ने वेयर हाउस के संचालक को नहीं दिया है,फिर बिना पूरे पैसे मिले वेयरहाउस का काम कैसे पूरा हो सकता है?? और जब काम ही पूरा नहीं होगा,तो वेयरहाउस के संचालक मनीष अग्रवाल सब्सिडी का लाभ कैसे लेंगे?? 

यह तो बात हुई सब्सिडी की पर यहां मुद्दा वेयरहाउस का बनना या उसको मिलने वाला सब्सिडी का लाभ नहीं, बल्कि जाली दस्तावेजों की मदद से झूठा लाइसेंस प्राप्त कर वेयरहाउस में अवैध रूप से अनाज को जमा करने और ट्रांसपोर्ट के लाने और ले जाने का हैं। 

हमारे संवाददाता को सूत्रों द्वारा यह खबर मिली है कि,मनीष अग्रवाल द्वारा चल रहे,इस जालसाजी के पीछे मुख्य वजह मध्य प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में बैठा उनका एक रिश्तेदार है,खुफिया जानकारी मिली है कि,अपने इस रिश्तेदार की सरकारी नौकरी का फायदा उठाकर जाली दस्तावेजों की मदद से मनीष अग्रवाल अधबने वेयरहाउस में अनाज भंडारण और जमाखोरी जैसे घिनौना काम सरकार की नाक के नीचे बड़ी बेशर्मी के साथ कर रहे हैं।जब मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए और सभी दस्तावेजों की उचित जांच करने के लिए हमारे संवाददाता मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कार्पोरेशन लखनादौन कार्यालय के ब्रांच मैनेजर के पास पहुंचे तो उनसे मिली जानकारी आपके होश उड़ा देगी..जब हमारे संवाददाता ने हो रही बातचीत में ब्रांच मैनेजर से मटावा ग्राम में बने वेयरहाउसेस किसके अंतर्गत आते हैं?? इसको लेकर सवाल पूछा तो ब्रांच मैनेजर ने कहा कि, यह सारे वेयरहाउसेस हमारे अंदर ही आते हैं,आर.आर एग्रो एसोसिएट रोड के उस पार जो वेयरहाउस बना हुआ है,उसका अनुबंध हमारी शाखा से है,लेकिन इसके साथ ही रोड के इस पार मनीष अग्रवाल के कई वेयरहाउसेस हैं,जिनका अनुबंध हमारी शाखा से नहीं बल्कि जिला सिवनी के उच्च कार्यालय में हुआ है। जब हमारे संवाददाता द्वारा ब्रांच मैनेजर से पूछा गया कि,क्या आधे-अधूरे वेयरहाउस में भंडारण के कार्यों को कर सकते हैं?? तब ब्रांच मैनेजर ने तुरंत बिना देर लगाए जवाब दिया नहीं बिल्कुल नहीं यह सरासर नियमों के विरुद्ध है,ऐसा नहीं होना चाहिए। 


ब्रांच मैनेजर की बात सुनने के बाद जब हमारी मिडिया टीम मध्यप्रदेश में अवैध रूप से चल रहे भंडारण और जमाखोरी की खबर देने के लिए,जिला सिवनी के उच्च अधिकारियों से फोन पर संपर्क करना चाहा,तो उस वक्त पता नहीं किन कारणों से किसी भी उच्च अधिकारी द्वारा फोन नहीं उठाया गया..ऐसे में चिंता का विषय यह है कि,क्या झूठे दस्तावेजों के दम पर अनाज का अवैध रूप से भंडारण और जमाखोरी करना जायज है?? क्या मध्य प्रदेश सरकार इनके खिलाफ कोई कड़े कानून या नियम नहीं बनाएगी???..आखिर किसकी लापरवाही और घूसखोरी के कारण मनीष अग्रवाल को झूठा लाइसेंस प्राप्त हुआ??आखिर किसने मनीष अग्रवाल को इन आधे अधूरे बने हुए वेयरहाउस में भंडारण करने की अनुमति दी??मध्यप्रदेश राज्य सरकार शीघ्र अति शीघ्र इस मामले की जड़ तक पहुंचने और सभी अपराधियों को दंड देने का कार्य शुरू करें,ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने से पहले 10 बार सोचें।

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