क्रेशर से सुपरवाइजर का हाथ कटा,एफ.आई.आर में सड़क हादसा दर्ज...?पीड़ित न्याय पाने भटक रहा दर-ब-दर...

क्रेशर से सुपरवाइजर का हाथ कटा,एफ.आई.आर में सड़क हादसा दर्ज...?पीड़ित न्याय पाने भटक रहा दर-ब-दर...

जबलपुर।।मध्यप्रदेश में संस्कारधानी के नाम से मशहूर जबलपुर महानगर में एक क्रेसर सुपरवाइजर के हाथ कटने का अनोखा मामला सामने आया है।इस पूरे वाकए में एक व्यक्ति का क्रेशर में फंसकर हाथ कट जाता है।जबकि पुलिस एफ.आई.आर में हाथ कटने का कारण सड़क हादसा दर्ज हो जाता है।अब पीड़ित क्रेशर सुपरवाइजर अपनी पत्नी के साथ पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है।फिर भी न्याय कोसों दूर नजर आता है।जिस पाटन थाने में एफ आई आर दर्ज हुई है,वहां के थाना प्रभारी का कहना है कि जो एफ.आई.आर हमारे यहां दर्ज हुई है वह इसी नाम के किसी दूसरे व्यक्ति की हो सकती है।

यदि ऐसा है तो फिर सवाल उठता है कि एक व्यक्ति का हाथ कट गया,एक्स-रे में तीन जगह से टूटा पाया गया,उसका मेजर ऑपरेशन किया गया,तीन रॉड डालनी पड़ गईं।यह सब बगैर एफ.आई.आर और बगैर एम.एल.सी किए हो कैसे गया?

अब मामला विस्तार से जानते हैं।जबलपुर के मदन महल क्षेत्र में रहने वाला राघवेंद्र सिंह ठाकुर इसी जिले के मानेगांव तिलवारा क्षेत्र में स्थित एनजीटी क्रेशर पर सुपरवाइजर का काम करता है।इस का कहना है कि 13 जनवरी को मैं क्रेशर मशीन साफ कर रहा था।तभी अजीत नाम के ऑपरेटर ने मशीन चला दी।फल स्वरूप उसका हाथ कट गया,क्रेसर पर मौजूद लोगों ने मालिक गगन नैयर को खबर की। बकौल राघवेंद्र,उसे बेसुध अवस्था में जिले के मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया‌।वहां घटनास्थल को लेकर सवाल जवाब हुए तो वहां से हटाकर जामदार अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया,उधर भी बात नहीं बनी तो स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया।बताया जाता है कि यह अस्पताल क्रेशर संचालक गगन नैयर के बेहद नजदीकी परिचित अमित खरे का है।इसलिए ना तो इस हादसे की जगह को लेकर सवाल उठे और ना ही इसके कारण पर बहस हुई,बस इलाज शुरू हो गया।राघवेंद्र का ऑपरेशन हुआ।उसका हाथ तीन जगह से टूटा पाया गया‌ जिसके चलते हाथ में रॉड डालनी पड़ गई।यह पूरी घटना 13 जनवरी 2022 की बताई जाती है।

इस पूरी कहानी में दिलचस्प मोड़ तब आया जब अस्पताल के स्टाफ ने क्रेशर संचालक की मौजूदगी में एक एफ.आई.आर अस्पताल में बेसुध पड़े राघवेंद्र की पत्नी के हाथ में थमा दी।उससे कहा गया कि तुम्हें इसी के आधार पर पुलिस को बयान देने हैं।बरगी थाने में दर्ज उक्त एफ.आई.आर में घटनास्थल मानेगांव तिलवारा स्थित एनजीटी क्रेशर के स्थान पर पाटन थाना अंतर्गत एक ऐसा स्थान दर्ज था जो पाटन और कटंगी के बीच पाया जाता है।घायल राघवेंद्र की पत्नी ने जब रिपोर्ट को झूठा बताया और गलत बयान देने से मना किया तो अस्पताल का स्टाफ और क्रेशर संचालक गगन नैयर बिफर उठे।तत्काल प्रभाव से राघवेंद्र का इलाज बंद हो गया।उसे अस्पताल से चलता कर दिया गया।ठाकुर दंपत्ति को धमकी दी गई कि चुप रहोगे तो गनीमत है वरना अच्छा नहीं होगा।मुआवजे का तो दूर-दूर तक अता पता नहीं था।अब आगे का इलाज राघवेंद्र जैसे तैसे कर्ज उधार लेकर करा रहा है‌।इसी के साथ वह पुलिस अधिकारियों के चक्कर भी लगा रहा है,ताकि उसे न्याय मिल सके।इस बारे में जब राघवेंद्र और उसकी पत्नी से पूछा गया कि एफ.आई.आर झूठी क्यों लिखाई गई।इस पर राघवेंद्र की पत्नी राखी ठाकुर बताती है कि जब मेरे पति राघवेंद्र का दर्द से बुरा हाल था तब अस्पताल स्टाफ और क्रेशर मालिक से सारी बातचीत मुझे करना पड़ी।जब मैंने मामले को क्रेशर हादसे की जगह सड़क हादसे मैं बदलने का कारण पूछा तो गगन नैयर ने बताया था की हमारे क्रेशर का बीमा नहीं है।यदि रिपोर्ट में घटनास्थल जीएनटी क्रेशर लिखवाते बीमा तो मिलता ही नहीं,साथ में कानूनी कार्रवाई की जद में आ जाते सो अलग। यही कारण रहा कि मेडिकल और जामदार अस्पताल में घटनास्थल को लेकर प्रतिकूल हालात बने तो राघवेंद्र को स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा।यहां इलाज भी बगैर किसी कानूनी कार्रवाई के तत्काल शुरू हो गया। क्योंकि यह अस्पताल क्रेशर मालिक के बेहद नजदीकी अमित खरे का है।वहां क्रेशर मालिक द्वारा भरोसा दिलाया गया कि राघवेंद्र के इलाज में जितना भी खर्च आएगा वह मैं भरुंगा और मुआवजा भी दूंगा।लेकिन उसकी यह शर्त थी कि ठाकुर दंपत्ति को अपने बयान में चोट का कारण सड़क हादसा और घटनास्थल पाटन थाना अंतर्गत कटंगी मार्ग बताना होगा।चूंकि राघवेंद्र की पत्नी ने यह शर्त नहीं मानी तो मामला बिगड़ गया।अब केशर मालिक अस्पताल का खर्च भी नहीं दे रहा।वहीं अस्पताल मैनेजमेंट द्वारा इलाज के 4 लाख रुपयों की मांग की जा रही है।

अब राघवेंद्र और उसकी पत्नी द्वारा पुलिस से मांग की जा रही है कि क्रेशर मालिक गगन नैयर,अस्पताल संचालक अमित खरे, झूठी एफ.आई.आर लिखवाने वाले अस्पताल के स्टाफ और लिखने वाले पुलिस स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं राघवेंद्र ठाकुर को इलाज का समुचित खर्च तथा मुआवजा दिलाया जाए।


इनका कहना है:-

जो राघवेंद्र ठाकुर खुद को क्रेशर से घायल होना बता रहा है और जिसकी रिपोर्ट हमारे थाने में दर्ज है, वे दोनों दो अलग अलग व्यक्ति हो सकते हैं। यदि क्रेशर से घायल राघवेंद्र को लगता है कि हमने जो रिपोर्ट लिखी है वह झूठी है तो जांच अवश्य करेंगे। यदि जांच में पुलिस को गुमराह करके झूठी रिपोर्ट दर्ज कराना पाया जाता है तो दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई निश्चित है।

 आसिफ इकबाल 

थाना प्रभारी पाटन


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