सड़क को रोशन करने हर माह 1 करोड़ 65 लाख चुका रहा निगम, फिर भी लोगों की किस्मत में अंधेरे के दीप


जबलपुर, हर महीने केवल बिजली बिल के ही 4 करोड़ 50 लाख का हो रहा भुगतान शिकायतों की सुनवाई नहीं।नगर निगम की आर्थिक तंगी अब शहर को परेशान करने लगी है, दशहरे जैसे त्योहार में भी कई काॅलोनियाँ और मुख्य मार्गों पर अंधकार पसरा था और कुछ ही दिनों बाद दीपावली जैसा रोशनी का बड़ा पर्व आ रहा है, ऐसे में निगम का यह दायित्व है कि पूरा शहर बिजली की रोशनी से नहाता रहे, लेकिन ऐसा होगा इस पर संदेह है, क्याेंकि बिजली सामग्री खरीदने रुपए ही नहीं हैं।

बिजली विभाग के पास अब सामग्री नहीं होने का रोना आम हो गया है। यह अलग बात है कि नगर निगम हर माह करीब साढ़े चार करोड़ रुपए बिजली के बिल की रकम विद्युत मंडल को चुकाता है, जिसमें 1 करोड़ 65 लाख रुपए तो केवल स्ट्रीट लाइट के ही होते हैं। अब सवाल यह उठता है कि दीपावली में शहर रोशन रहेगा या अँधेरे के दीप ही जलते रहेंगे। नगर निगम सीमा के तहत कुल करीब 38 हजार बिजली के पोल हैं, सबसे बड़ी चुनौती तो यही रहती है कि इन पोलों को हमेशा रोशन रखा जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है।

एक समय में 5 से 10 फीसदी पोल अँधेरे में रहते हैं और लोग शिकायत करते रहते हैं। जब सामग्री होती है तो इनका सुधार तेजी से हो जाता है, लेकिन बिजली सामग्री ही नहीं रहे तो कर्मचारी भी बहाने बनाते रहते हैं। यह अलग बात है कि हर बार सामग्री बदलनी नहीं पड़ती, बल्कि सुधार के बाद भी पोल को रोशन किया जाता है, लेकिन यह लम्बे समय तक नहीं टिकता। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब बिजली विभाग को ठेकेदारों ने सामग्री देना बंद कर दिया है, क्योंकि पिछली राशि नहीं चुकाई गई है और यही हालत रही तो आगे और भी परेशानी होगी।

कई काॅलोनियों में पसरा रहता है अँधेरा
सामग्री की कमी से जूझ रहे बिजली विभाग की मजबूरी के चलते इन दिनों शहर की कई काॅलोनियों में अंधकार पसरा रहता है। संजीवनी नगर रॉयल स्कूल मार्ग के आसपास के निवासियों ने शिकायत में बताया कि यहाँ तो वर्षों से जैसे स्ट्रीट लाइट का सुधार ही नहीं हुआ है। बिजली के पोल केवल जगह घेर रहे हैं। तुलाराम चौक, गलगला, फूटाताल के आसपास मार्गों के साथ ही रहवासी क्षेत्रों में अंधकार ही छाया रहता है। बात जब मुख्य मार्गों की आती है तो विजय नगर एसबीआई चौक, दीनदयाल चौक में कई दिनों से यही हाल है। एमआरफोर में कई जगह अंधकार का राज्य है।

दिखाने के लिए पोलों में लगी है फिटिंग
सड़कों और काॅलोनियों में ऐसे बहुत से पोल मिल जाएँगे जिनमें सोडियम की फिटिंग तो लगी है, लेकिन बल्ब गायब हैं और इनमें कभी रोशनी नहीं होती है। इससे यह पता चलता है कि निगम ने रिकाॅर्ड में तो इन पोलों को रखा हुआ है, लेकिन जब रोशनी नहीं होती तो इनसे लोगों को लाभ ही क्या होता है। कई पोल ऐसे हैं जिनमें सोडियम और एलईडी की फिटिंग है, लेकिन उसी में टयूब लाइट लगी है जो जलती-बुझती रहती है। कुल मिलाकर शहर काे राेशनी से नहाने के लिए निगम को लम्बी कवायद करनी होगी वरना अंधकार कायम रहेगा।

फैक्ट फाइल

स्ट्रीट लाइट का बिजली का बिल करीब 1 करोड़ 65 लाख मासिक।
काॅलोनियों के पम्प हाउस का बिल 1 करोड़ 50 लाख मासिक।
फिल्टर प्लांटों का बिजली का बिल भी करीब 1. 50 करोड़ मासिक।
निगम कुल करीब 4 करोड़ 50 लाख बिल हर माह देता है।
शहर में कुल 38 हजार बिजली के पोल हैं।

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