जबलपुर, पटवारी दो महीने से सर्वर में प्रॉब्लम होने की कर रहे बात जमीन या प्लॉट खरीदने के बाद रजिस्ट्री तो हो जाती है लेकिन इसके बाद नामांतरण और फिर खसरे में नाम दर्ज कराना सबसे कठिन काम होता है। आम आदमी तहसील कार्यालय के चक्कर काटता रहता है लेकिन उसका काम नहीं होता है। भले ही पूरी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन हो गई हैं और हर काम की समय सीमा तय कर दी गई है, इसके बाद भी सुनवाई नहीं होती है। अगर तहसील कार्यालय से नामांतरण के आदेश हो भी जाते हैं तो पटवारी ऑनलाइन नाम दर्ज करने में आनाकानी करते हैं। पिछले दो महीने से तो यही कहा जा रहा है कि सर्वर में परेशानी आ रही है जिससे नाम दर्ज नहीं हो रहे हैं।
राजस्व विभाग से जुड़ा काम है और बिना पैसे के हो जाए यह संभव नहीं है। इस समय कलेक्ट्रेट में फिर से यही प्रथा शुरू हो गई है। बिना लेन-देन या फिर दलाल के कोई काम नहीं हो रहा है। सबसे ज्यादा परेशान वे लोग हैं जिनके नामांतरण, बँटवारा या सीमांकन से जुड़े काम हैं। इन कामों के लिए बाकायदा अधिकारियों ने रेट फिक्स कर रखे हैं। यही कारण है कि आम आदमी चक्कर काट-काटकर थक जाता है लेकिन ईमानदारी से उसका काम नहीं होता। अगर नामांतरण के आदेश हो भी जाएँ तो फिर पटवारी खसरे में नाम दर्ज करने लेटलतीफी करते हैं। इसके लिए कोई समय सीमा न होने से लोग परेशान होते रहते हैं।
सर्वर का काम हो रहा है कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद वैसे भी राजस्व से जुड़े सभी काम बंद थे। जैसे-तैसे काम शुरू हुए तो लोगों ने प्रॉपर्टी का क्रय-विक्रय शुरू किया तो अब उन्हें आदेश और रिकॉर्ड दुरुस्त कराने परेशान होना पड़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन काम करने में परेशानी हो रही है। पिछले कुछ महीनों से यही कहा जा रहा है कि सर्वर का काम चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह हर दिन का बहाना है।