क्या इस बार दिल्ली समेत 18 राज्यों में पटाखों की बिक्री पर लगेगी रोक? NGT ने फैसला रखा सुरक्षित


दिल्ली-एनसीआर सहित 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदूषण नियंत्रण और लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर पटाखे जलाने/फोड़ने और बिक्री पर रोक लगाने की मांग पर गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। एनजीटी ने बुधवार को मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ते हुए 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा था।

एनजीटी ने पटाखों की बिक्री और जलाने पर रोक लगाने की मांग से जुड़े मामले का दायरा बिहार, असम, गुजरात सहित 18 राज्यों को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा है कि खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर क्यों न पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। जिन 18 राज्यों को नोटिस जारी किया गया है, वहां पर वायु की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है।

एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि वह पहले ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर चुकी है। साथ ही कहा था कि राजस्थान और उड़ीसा को नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां की सरकारें पहले ही पटाखों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी कर चुकी हैं। पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से जवाब मांगा है।

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि सभी संबंधित राज्य सरकारें, जहां वायु गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, वे ओडिशा और राजस्थान की तरह पटाखे के बिक्री और उत्पादन पर रोक लगाने पर विचार करे। पीठ ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है कि त्योहारों के सीजन में बड़े पैमाने पर पटाखे जलाए जाते हैं और इससे निकलने वाले जहरीले रसायन की वजह से जन स्वास्थ्य, खासकर बुजुर्गों व बच्चों को सांस संबंधि परेशानियों का सामना करना होता है।
इससे पहले ट्रिब्यूनल ने सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण और लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर 7 से 30 नवंबर तक पटाखे जलाने/फोड़ने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी)से जवाब मांगा था। इसके अलावा पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। पीठ ने एक जनहित याचिका पर दिया था।

याचिका में दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों के मद्देनजर 7 से 30 नवंबर तक पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके साथ ही पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राज पंजवानी और शिवानी घोष को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करते हुए कानूनी पहलुओं पर सुझाव और पीठ की मदद करने का आग्रह किया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर पहले से ही प्रदूषण की स्थिति खराब बनी है और हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है। साथ ही कहा है कि यदि पटाखों के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाया गया तो कोरोना महामारी के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ स्थिति भी बिगड़ेगी।

याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री के उन बयानों का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि त्योहारी सीजन के दौरान वायु प्रदूषण के कारण कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने की संभावना है।

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