"तात्पी घाट की आग:मां काली का आशीर्वाद या धरती के पेट का रहस्य?"
बैतूल,मध्यप्रदेश।घाटी में गूंजती मंदिर की घंटियां,हवा में घुली अगरबत्ती की खुशबू और अचानक—धरती की गहराई से उठती आग की लपटें!
ताप्ती घाट के मां काली मंदिर के पीछे एक चट्टान की दरार से निकली आग ने पूरे इलाके को सिहरन और श्रद्धा,दोनों से भर दिया है।
यह कोई आम घटना नहीं,सिर्फ सात दिन में दूसरी बार चट्टान से उठी यह रहस्यमयी आग करीब डेढ़ घंटे तक जलती रही। लपटों की आभा में मंदिर की दीवारें सुनहरी चमक उठीं,और श्रद्धालु इसे "मां काली का संकेत" मानकर पूजन-अर्चन में जुट गए।
लेकिन,हर चमत्कार के पीछे एक सवाल भी होता है—
क्या यह सचमुच देवी की कृपा है,या फिर धरती के पेट में छिपा कोई वैज्ञानिक राज?
भूविज्ञानियों का मानना है कि चट्टानों में सल्फर,कार्बन और हाइड्रोजन जैसे खनिज तत्व हवा की ऑक्सीजन से मिलकर स्वतःदहन कर सकते हैं।
परंतु,इस घटना का सही कारण जानने के लिए वैज्ञानिक जांच जरूरी है।
इस बीच,ताप्ती घाट एक जीवंत रहस्य स्थल बन चुका है।
लोग यहां सिर्फ दर्शन के लिए नहीं,बल्कि उस क्षण को अपनी आंखों में कैद करने आते हैं,जब धरती खुद अग्नि उगलती है।
सोशल मीडिया पर वायरल होते वीडियो,धार्मिक आस्था और विज्ञान की बहस को और तेज कर रहे हैं।
क्या यह आग किसी अनदेखी शक्ति का आशीर्वाद है?
या फिर यह धरती के दिल में छिपा हजारों साल पुराना रहस्य,जो आज दुनिया के सामने आया है?
सच जो भी हो,ताप्ती घाट की यह घटना आने वाले दिनों में और कहानियां जन्म देगी।