राष्ट्रीय हिन्दू वाहिनी संगठन का स्थापना दिवस: भक्ति, संगठन और संकल्प का संगम


धर्म की भूमि पर जब संगठन शक्ति और श्रद्धा एक साथ उमड़ती है, 

तो दृश्य अविस्मरणीय हो जाता है। कुछ ऐसा ही प्रेरणादायक दृश्य राष्ट्रीय हिन्दू वाहिनी संगठन के स्थापना दिवस समारोह में देखने को मिला, जो जबलपुर में अत्यंत धार्मिक आस्था और संगठनात्मक ऊर्जा के साथ भव्य रूप से संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पूजन और संकटमोचन श्री हनुमान जी के माल्यार्पण व स्तुति से हुई। जैसे ही वैदिक मंत्रों की गूंज और भक्ति की ध्वनि वातावरण में फैली, उपस्थितजनों के मन श्रद्धा से भर उठे। इस अनुष्ठान ने आयोजन को दिव्यता और ऊर्जा से सराबोर कर दिया।

इस गरिमामय आयोजन में संगठन के अनेक सम्माननीय पदाधिकारी और समर्पित कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने स्थापना दिवस को एक औपचारिकता नहीं, बल्कि संगठनात्मक उत्सव के रूप में मनाया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित रहे संभाग प्रभारी श्री राकेश त्रिपाठी, जिनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को रणनीतिक दिशा दी। जिला अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह चौहान की मौजूदगी ने संगठनात्मक नेतृत्व को और मजबूती दी। जिला उपाध्यक्ष श्री रमेश पाटकर ने भी अनुशासन और समर्पण की मिसाल पेश की।

इस भव्य आयोजन में संगठन के अन्य प्रमुख मंत्री भी शामिल हुए, जिनमें श्री आशीष चौकसे, श्री शैलेन्द्र अहिरवार, श्री मनीष ताम्बी, श्री वैभव चौधरी, श्री वाल्मीक कुशवाहा, श्री कैलाश बर्मन सहित अन्य मंत्रीगण भी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर कार्यक्रम की व्यवस्था, संचालन और अनुशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महिला मंडल की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। महिला शक्ति के प्रभावशाली प्रतिनिधित्व ने यह स्पष्ट कर दिया कि संगठन महिलाओं को न केवल सम्मान देता है, बल्कि नेतृत्व की भूमिका में भी आगे रखता है। उपस्थित महिला पदाधिकारियों में रमा कच्छी, सुनीता साहू, संगीता कुशवाहा, निशा सहित अन्य महिला सदस्य शामिल रहीं, जिनकी सक्रिय सहभागिता ने पूरे आयोजन को ऊर्जावान बना दिया।

स्थापना दिवस पर सभी पदाधिकारियों ने संगठन के मूल मंत्रों....हिंदू संस्कृति की रक्षा, सामाजिक समरसता, राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी....को दोहराते हुए, जनजागरण और सेवा को प्राथमिकता देने की अपील की।

यह आयोजन भक्ति, एकता, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी का ऐसा संगम बनकर सामने आया, जिसने आने वाले समय में संगठन की बढ़ती भूमिका का संकेत दे दिया। जबलपुर की भूमि इस ऐतिहासिक आयोजन की साक्षी बनी और एक संदेश पूरे आयोजन में गूंजता रहा....

 “संगठन में शक्ति है, और शक्ति में ही राष्ट्र की सुरक्षा निहित है।”


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