प्रशासनिक पावर का दुरुपयोग:हाई कोर्ट का ट्रांसफर पर बड़ा फैसला,जानिए क्या है पूरा मामला...
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर किसी कर्मचारी का ट्रांसफर करना शासन का विशेष अधिकार है,लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता,कोर्ट ने भोपाल के एक शिक्षक के ट्रांसफर को अवैध मानते हुए स्थगित कर दिया।मामले की पृष्ठभूमि
दीपेंद्र प्रसाद पांडे,सरोजिनी नायडू कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,भोपाल में लेक्चरर के पद पर पदस्थ थे।उनका ट्रांसफर दिनांक 07 जून 2025 को भोपाल से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,भड़कच्चा कला,जिला रायसेन में कथित प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर किया गया था,पांडे के रिटायरमेंट में केवल दो वर्ष शेष थे।
वकील की दलील और कोर्ट का फैसला
उच्च न्यायालय जबलपुर में पांडे की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी ने बताया कि पांडे को 05 जून 2025 को बूथ लेवल ऑफिसर के रूप में जिला निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त किया गया था। इसके बाद,06 जून 2025 को वोटर लिस्ट के संशोधन के लिए रिलीव किया गया था।अधिवक्ता चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि पांडे का ट्रांसफर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 13CC के विरुद्ध है। सुनवाई के बाद,उच्च न्यायालय जबलपुर की एकल पीठ ने अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्कों को स्वीकार करते हुए ट्रांसफर आदेश दिनांक 07 जून 2025 और रिलीविंग आदेश पर स्टे लगा दिया।साथ ही,दीपेंद्र पांडे,लेक्चरर को सरोजिनी नायडू कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,भोपाल में कार्य करने की अनुमति प्रदान की गई।
