शिक्षकों व कर्मचारियों ने बिना वेतन मनाई होली,पोर्टल और सर्वर का न चलने का बहाना बनाते रहे अधिकारी...

शिक्षकों व कर्मचारियों ने बिना वेतन मनाई होली,पोर्टल और सर्वर का न चलने का बहाना बनाते रहे अधिकारी...

ब्यूरो रिपोर्ट...


जबलपुर।।खासतौर से जब त्यौहारों का समय आता है,तो लोग हर्ष उल्लास के साथ सपरिवार उस त्यौहार की तैयारियों में जुट जाते हैं।लेकिन इस बार होली का त्यौहार को मनाने के लिये परेशान रहा शिक्षक वर्ग क्योंकि शिक्षक बिना वेतन के कैसे मनाये होली,आपको बता दे कि कई विकासखंडों के शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन नहीं मिला है।यह बड़े ही शर्म की बात है कि होली जैसे त्यौहार में पैसों की तंगी रही,कुछ ने तो ब्याज पर लिए उधार के पैसों से अपने परिवार एवं बच्चों के साथ रंगोत्सव त्यौहार को मनाया।


हमेशा की तरह इस बार भी संकुल केंद्रों से सही समय पर पे बिल पहुंच गए,जिनमें कुछ का वेतन भी हो गया बाद में जब होली के दो दिन बचे तो कुछ विकासखंड शिक्षा अधिकारी गले की फांस बनती देख कहीं सर्वर नहीं चल रहा,कहीं आई डी से लॉगिन नहीं हो रहा,ट्रेजरी फॉरवर्ड नहीं हो रहा, सर्वर डाउन है,पोर्टल नहीं चल रहा जैसे बहाने बताने लगे ज्यादा विरोध किया तो कहने लगे भोपाल बात कर रहे है।


सवाल यह उठता है कि:-
1.क्या ये विकासखंड शिक्षा अधिकारी पहले भोपाल से मार्गदर्शन नहीं ले सकते थे...?
2.क्या ये पहले वेंडर के बिल नहीं लगा सकते थे....? 
3.ऐसी क्या व्यस्तता थी कि होली के दो दिन पहले इनके चक्षु खुले...?
4.क्या इनकी मानवीय संवेदनायें समाप्त हो गयी...?
5.क्या ये हिटलरशाही नहीं कि समाचार पत्रों में चार दिन पहले से खबर छप रही थी कि त्यौहार पर वेतन के लाले पड़ेंगे...?  


जबलपुर जिले में सात विकासखंड है,जहां प्रत्येक विकासखंड में एक सक्षम अधिकारी है, जिन्हें विकासखंड शिक्षा अधिकारी कहा जाता है।इनके द्वारा कई संकुल केंद्रों के पदस्थ /कार्यरत सैकड़ो शिक्षकों तथा कर्मचारीयों के वेतन एवं अन्य वित्तीय कार्य किये जाते है।


वहीं मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रत्येक संकुल केंद्र से संकुल प्राचार्य द्वारा 26 से 28 तारीख़ तक वेतन देयक पत्रक(पे बिल ) सम्बंधित विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पास जमा कर दिया जाता है।यदि विकासखंड शिक्षा अधिकारी त्वरित कार्यवाही कर अपने लॉगिन से ट्रेजरी समय पर पहुंचा देवें तो शिक्षकों एवं कर्मचारियों का वेतन 1 से 5 तारीख़ के बीच हो जाये।अब तो आई एफ ऍम आई एस हो गया है परन्तु इनकी हीला हवाली,हठधार्मिता का ये दुष्परिणाम है कि लोकसेवकों का वेतन हर माह समय पर नहीं हो पाता।जिसमें सर्वाधिक नुकसान अतिथि शिक्षक,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी,सहायक अध्यापक इत्यादि जिनके बिल वेंडर से लगते है।कैसे वरिष्ठ अधिकारीयों के सामने सार्वजनिक मंच पर वाहवाही लूटने और स्वयं को महिमा मंडित करने वाले कुछ विकासखंड शिक्षा अधिकारी भावावेश में कुछ अधिक कह जाते है।भावनाओं की अविरल धारा में बहते हुए सीना चौड़ा कर कह जाते है कि हमारे विकासखंड में तो हर माह सभी लोकसेवकों का वेतन 1तारीख को कर दिया जाता है और उनके कार्यालय में जीरो पेंडेंसी है एवं किसी भी प्रकार का कोई लेनदेन नहीं है।वास्तविकता से अनभिज्ञ अपने कथनों पर विचार भी नहीं करते स्वयं की पीठ थपथापाता कर गौरान्वित महसूस करते है।


मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन ने  मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री,वित्त मंत्री एवं लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल तथा वरिष्ठ सक्षम अधिकारीयों से से ईमेल एवं दूरभाष पर चर्चा कर मांग की है,कि प्रत्येक माह 1 तारीख को कर्मचारियों का वेतन मिले तथा ऐसे अक्षम विकासखंड शिक्षा अधिकारीयों को जो समय पर वेतन का भुगतान नहीं करा पाते उनका पूरे वर्ष भर का रिकार्ड देखकर उन्हें हटाया जाये।

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