मालिक समझ रहे ठेकेदार अपने आपको,भारी अनियमिततायें लोक निर्माण विभाग में लेन-देन हो रहा जोरों-शोरो पर...

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मालिक समझ रहे ठेकेदार अपने आपको,भारी अनियमिततायें लोक निर्माण विभाग में लेन-देन हो रहा जोरों-शोरो पर...

ब्यूरो रिपोर्ट...

जबलपुर।।मध्यप्रदेश का लोक निर्माण विभाग एक ऐसा है कि जिसका जायका मलाईदार जैसा है,क्योंकि इस विभाग में जिला, तहसील,विकासखंडों के अलावा अन्यत्र कई स्थानों पर कार्यालय, उपकार्यालय(डिवीज़न,सब डिवीज़न)बने है।जहां इकलौते जबलपुर नगर में मेडिकल,कलानिकेतन,जेल व कोर्ट के 15 से 20 एस.डी.ओ कार्यालय में कई उपयंत्री है।


इस विभाग का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी हवाई यात्रा करने की ख्वाहिश रखता है और मौका पाते ही सफर भी पूरा कर लेता है।क्योंकि सोचने वाली बात तो यह है कि यहां बाबुओं व ऑडिटरों की बल्ले बल्ले के साथ-साथ लंबे समय से विभागीय ठेकेदार भी अपने आप को मालिक समझने लगे है।


यदि सूत्रों की माने तो ठेकेदारों के अपने-अपने क्षेत्र निर्धारित है,जहां उनका उस जगह पर एकाधिकार है।जैसे कि मानकुंवर बाई कॉलेज, होमसाइंस कॉलेज,डॉक्टर्स क्वाटर्स व बंगले,पॉलिटेक्निक कॉलेज, जेल परिसर,हाई कोर्ट बिल्डिंग,जज बंगले,कलेक्ट्रेट बिल्डिंग इत्यादि मे डिपाजिट वर्क के काम अधिक होते है।यहाँ अधिकारीयों के चहेते कृपा पात्र गिने-चुने ठेकेदार जिनकी टेंडर लगाने वाले से लेकर एस. डी.ओ,इंजीनियर,ऑडिटर सब से अच्छी-खासी सांठगांठ के साथ उन्हें बढ़िया मलाई भी खिलाते है।जिसके चलते अच्छे प्रतिशत पर ज्यादातर रेनोवेशन का मरम्मत कार्य इन चहेते ठेकेदारों को मिल जाता है।
वहीं जब इस विषय मे मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया यहाँ कि ज्यादातर खबरें इसलिए बाहर नहीं आ पाती क्योंकि यहाँ के छुटभईया नेता अधिकारीयों व ठेकेदारों से अपना नेतागिरी का टैक्स वसूला करते है।यदि किसी भी अधिकारी ने न नुकुर की तो जबरन जिंदाबाद-मुर्दाबाद का हो हल्ला कर दबाब बनाकर अपना उल्लू सीधा कर लेते है,क्योकि एक दूसरे के राज इनके सीनों मे दफ़न है।उन्होंने आगे और बताया मुख्य अभियंता कार्यालय(चीफ इंजीनियर ऑफिस),अधीक्षण यंत्री कार्यालय,संभागीय कार्यालय 1 एवं 2,विधुत यांत्रिकी कार्यालय सारे के सारे संस्कारधानी का गौरव बढ़ा रहे है और पूरे जिले मे 50 से अधिक कार्यालय तथा उप कार्यालय है।एकमात्र इस विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी समस्याग्रस्त नहीं है बल्कि बाकी विभागों के लोकसेवकों की समस्याओ के समाचार लगभग प्रतिदिन समाचार पत्रों मे प्रकाशित होते रहते है और मेरे साथ सभी पदाधिकारी व सदस्यों ने सरकार तथा शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि पारदर्शिता के साथ कार्य एवं ऐसी परंपरा का निर्वहन अनिवार्य किया जावे।

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