Kashmiri files और धारा 370 के बाद अब जम्मू कश्मीर में हो सकते हैं,यह अहम बदलाव....
अभी हाल ही में आई फिल्म"कश्मीरी फाइल्स" में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों को देखने के बाद पूरा भारत,कश्मीर में हो रहे आतंकी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर जागरूक होता दिखाई दे रहा हैं,वही इस जागरूकता की पहली पहल करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजभवन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।
इस अध्यक्षता के तुरंत बाद मीडिया से हुई बातचीत के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि,"भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आज हम आतंक व घुसपैठ से मुक्त एक शांत और विकसित जम्मू कश्मीर के मुद्दे को लेकर यहां एकत्रित हुए हैं।"
जम्मू कश्मीर में हो रहे बदलाव न सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि पूरे भारत के उज्जवल भविष्य के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। भाजपा का कार्यकाल शुरू होने के कुछ वर्ष पश्चात ही जम्मू कश्मीर से धारा 370 का मुद्दा सामने आया था,इसके आने के बाद से ही कई सारी आतंकी गतिविधियों को रोकने में भारत सरकार सक्षम हुई है।कश्मीर में कैसे विकास कार्य को प्रारंभ करना है और किस प्रकार से सभी आतंकी मानसिकता वाले लोगों को कश्मीर से खदेड़ भगाना है,यह इस बैठक का अहम मुद्दा था।
धारा 370 में लिखित प्प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में रक्षा,विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है।लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने या हटवाने के लिए केंद्र को(जम्मू-कश्मीर)राज्य सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है।राज्य सरकार को मिले इस एक विशेष अधिकार के कारण जम्मू कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं होता।इसका सीधा अर्थ है कि, भारत के राष्ट्रपति के पास जम्मू और कश्मीर के लिखित संविधान को बर्खास्त करने का कोई हक उपलब्ध नहीं है।इन्हीं सारी समस्याओं का उचित हल निकालने के लिए सभी सुरक्षा गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए यह बैठक बुलाई गई थी।
इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा एवं जम्मू कश्मीर पुलिस प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी जम्मू कश्मीर को शांत प्रदेश बनाने के लिए अपने-अपने मुद्दे रखते दिखाई दिए।