अस्पताल के डॉ और स्टाफ अस्पताल से भागे, ऑक्सीजन की कमी से 5 रोगियों की चली गई जान।
पहले भी यह अस्पताल विवादों में रह चुका है विगत कुछ समय पूर्व पत्रकार अनवर बाबू के साथ अस्पताल के बाउंसरो के द्वारा की गई थी आम मारपीट जब इस घटना के बारे में सीएचएमओ से पूछा गया था तब भी इस अस्पताल के खिलाफ किसी प्रकार का उचित कार्रवाई नहीं की गई.यदि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस अस्पताल के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती है तो शायद आज हादसा नहीं हो पाता।
कोरोना पॉजिटिव मरीजो से दो से चार लाख के पैकेज में मरीजों को भर्ती किया जाता है और ऑक्सीजन सिलेंडर का 5 से 7 हजार रुपए घंटा चार्ज किया जाता है।वेंटीलेटर आसमान छू रहा है तो इतनी रकम लूटने के बाद भी मरीज तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं।
सरकार और जिला प्रशासन को अपनी नज़र पर बंधी पट्टी को उतार फेंकना चाहिए और निजी अस्पतालों के प्रति अपने प्रेम को तिलांजलि दे देनी चाहिए।कमीशन बाजी तो जीवन भर चलती रहेगी,फिर भी जिन लोगों की जान निजी अस्पताल ले रहे हैं।कि पर लगाम कसने की कृपा करे और जितने लोगों की मौत निजी अस्पतालों में हुई है उनके परिवारों को निजी अस्पताल प्रबंधन से मुआवजा दिलाने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।
आतिशी निजी अस्पतालों की मनमानी और लूट का खसोट पर अंकुश लगाने की उम्मीद कर सकती हैं और गैलेक्सी अस्पताल प्रबंधन पर हत्या का संगीन मामला दर्ज किया जाना चाहिए।