इस वर्ष रूप चौदस और दीपावली एक ही दिन


जबलपुर, धनतेरस के दिन से दीपावली का पाँच दिवसीय महापर्व शुरू हो जाता है। उसके बाद नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपक जलाने की परम्परा है। उसके अगले दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। हर बार अमावस्या के दिन दीपावली (लक्ष्मी पूजन का दिन) मनाते हैं, लेकिन इस बार छोटी और बड़ी दीपावली एक ही दिन पड़ रही है। यानी इस बार 15 तारीख को अमावस्या होने पर भी दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।

दान और स्नान की अमावस्या 15 नवंबर को है। लेकिन दीपावली पर लक्ष्मी पूजन 14 नवंबर को ही किया जाएगा। पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि 12 नवंबर की शाम 6 बजकर 6 मिनट तक द्वादशी तिथि रहेगी फिर त्रयोदशी (धनतेरस की तिथि) प्रारंभ होगी जो कि 13 नवंबर की दोपहर 3 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। उसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी जो 14 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अमावस्या शुरू हो जाएगी जो 15 नवंबर की सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। दीपावली की पूजा रात में ही होती है इसलिए 14 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। वहीं चतुर्दशी 13 को मनाई जाएगी। लेकिन दान और स्नान 15 नवंबर को ही किया जाएगा। दीपावली पर चतुर्दशी और अमावस्या तिथि होने पर क्या शुभ संयोग बन रहा है।

लाभ देने वाला है यह शुभ संयोग
पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि स्थापना शनिवार को थी और दीपावली भी शनिवार को है। यह एक बड़ा ही मंगलकारी योग है। शनि स्वाग्रही मकर राशि पर है। यह योग व्यापार के लिए लाभकारी एवं जनता के लिए शुभ व फलदायी रहेगा। कई वर्षों बाद यह दुर्लभ संयोग बन रहा है। तंत्र पूजा के लिए दीपावली पर्व को विशेष माना जाता है। इस वर्ष 14 नवंबर, दिन शनिवार को दीपावली है। छोटी और बड़ी दीपावली की तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण और शनि एवं गुरु ग्रहों के अपनी ही राशि में होने के कारण शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी।

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