हमारे स्टूडेंट्स गूगल जैसी कंपनियां बनाएं, यही सपना : सिसोदिया


नई दिल्ली । दिल्ली सरकार के स्कूलों के बच्चे एचटी-कोडेथॉन प्रोग्राम में बढ़ चढ़ कर शामिल हो रहे हैं. अब तक कक्षा 9 में पढने वाले 12000 से अधिक बच्चे इसमें शामिल हो चुके हैं। इनमें से 1018 बच्चों नें एक महीने से भी कम समय में कोर्स पूरा कर लिया हैं. यही नहीं, 17 बच्चे नार्थ ज़ोन में टॉप 100 बच्चों में शामिल हैं। सिसोदिया नें आज कुछ बच्चों और टीचर्स के साथ इस कार्यक्रम की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आपमें से कई बच्चों का सपना होगा कि गूगल जैसी कंपनी में काम करें, लेकिन मेरा सपना है कि आपमें से ही कुछ बच्चे गूगल जैसी कंपनियां खड़ी करें और हजारों लोगों को नौकरी दें। जीबीएसएसएस महिपालपुर के नवीं के छात्र भास्कर ने बताया कि पहले उन्होंने कोडिंग के बारे में सिर्फ सुना था लेकिन अब करने का मौका मिला है। भास्कर ने कोडिंग चैंपियंस नामक वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर अपने दोस्तों को भी कोडिंग सिखाना शुरू कर दिया है। एक छात्रा सिमरन ने कहा कि मैं पहले सिर्फ गेम खेलती थी, लेकिन अब दिमाग इस पर चलता कि नया गेम कैसा बना सकूं। उसने कहा कि मैं बच्चों के लिये ऐसे एडवेंचर गेम बनाना चाहती हूं जिसे खेलकर बच्चे खुश हों। एक स्टूडेंट अजय ने कहा कि मैंने सोचा भी नहीं था कि सरकारी स्कूल में पढ़कर कोडिंग सीख सकूंगा। सर्वोदय बाल विद्यालय, साकेत में पढ़ने वाले दो भाइयों शितांशु और प्रियांशु ने बताया कि उन्होंने कोडिंग सीखकर अन्य परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। सूरजमल विहार स्थित एसकेवी की छात्रा जिज्ञासा ने कहा कि वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती है। उसने कहा कि मेरा सपना कोडिंग सीखना है और इसका अवसर देने के लिए दिल्ली सरकार को धन्यवाद देती हूं। आज बच्चों से बातचीत के दौरान यह बात सामने आई कि कोडेथाॅन में शामिल अधिकांश छात्रों ने कभी पायथाॅन, स्क्रैच और अन्य कोडिंग भाषा के बारे में नहीं सुना था। उनके कंप्यूटर शिक्षक अब उन्हें यह सब सीखने में मदद कर रहे हैं। सर्वोदय कन्या विद्यालय, पीरागढ़ी की शिक्षिका बबीता के कई छात्रों ने कोडाथॉन में अच्छा रैंक हासिल किया है। वह अपने 17 छात्रों की ऑनलाइन क्लास के माध्यम से मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने बताया कि उनके कई स्टूडेंट्स ने काफी अच्छे एनिमेशन बनाए हैं। एक अन्य शिक्षक मो. नाजिर ने कहा कि उनके स्टूडेंट्स काफी अच्छा कर रहे हैं। निम्न आयवर्ग से आने वाले ऐसे बच्चे हर दिक्कत का सामना करते हुए बेहतर प्रदर्शन की कोशिश कर रहे हैं। एक अन्य शिक्षिका मधुलिका जो द्वारका स्थिति सर्वोदय स्कूल की शिक्षिका हैं, नें बताया की उनके बच्चे पिछले महीनें तक लॉगिन करना भी नहीं जानते थे, अब वो गेम्स बना रहे हैं। सिसोदिया ने कहा कि इस औसर को आधार बना कर हम ऐसे प्रोग्राम विकसित करें जिससे बच्चों को कोडिंग की दुनिया में ऊंचाइयों की ओर जाने का अवसर मिल सके।

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