तिब्बत में पैसे का लालच देकर चीन बढ़ा रहा प्रभाव, खतरे में बौद्ध धर्म और तिब्बती संस्कृति


नई दिल्ली । तिब्बत में किस तरह चीन का दखल और प्रभाव बढ़ रहा है इसका खुलासा एक रिपोर्ट में किया गया है। चीन तिब्बत के लोगों को विकास और संपन्नता का लालच देकर बौद्ध धर्म का प्रभाव कम कर रहा है। इसका एक उदाहरण है, तिब्बत की राजधानी व दुनिया के सबसे ऊंचे शहरों में से एक ल्हासा में चीनी अधिकारियों द्वारा निर्मित घर में रह रहा सुन्नमदन जिसने सरकारी दौरे पर आए विदेशी पत्रकारों को बताया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उनके जीवन में कितना सुधार किया है।
दो बच्चों के पिता 41 वर्षीय सुन्नमदन ने कहा कि "मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि चीन सरकार की मदद से मेरा जीवन इतना अच्छा होगा। तिब्बत के 85 वर्षीय आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के बारे में पूछे जाने पर सुन्नमदन ने कहा, मैं उनसे कभी नहीं मिला और मैं उनके बारे में कुछ जानता हूं। उससे पूछने पर कि तिब्बत में बौद्ध धर्म, सहस्राब्दी से अधिक समय तक चलने वाला धर्म और तिब्बती संस्कृति की नींव रहा है, पर उसने कहा कि "मैं अपना ज्यादातर समय काम पर और जीवन यापन करने में लगाता हूं, मेरे पास धर्म पर खर्च करने के लिए समय नहीं है।"
सबसे बड़ी बात यह थी कि सुन्नमदन अपने लिविंग रूम में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के चित्र लगा रखा है। इस बारे में पूछने पर कि उसे शी जिनपिंग के चित्र को अपने लिविंग रूम में क्यों लटका रखा है तो उसने कहा इसमें क्या बड़ी बात है।इस रिपोर्ट से यह साफ हो रहा कि तिब्बत में चीनीकरण किस हद तक पैर पसार चुका है और तिब्बत की भाषा, संस्कृति, धर्म और परम्परा सब चीन के निशाने पर हैं। ज्यादा से ज्यादा चीनियों को बसाकर वहां की डेमोग्राफी को चेंज कर दिया गया है।

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