तोप गाड़ी फैक्ट्री अब सिर्फ धनुष बनाएगी - सरहद पर ज्यादा तोपों की जरूरत


जबलपुर,  वाहन निर्माणी पर होगी शारंग की जिम्मेदारी अब तक दोनों निर्माणियाँ ज्वाइंट वेंचर की तरह उत्पादन करती रही हैं लेकिन अब दोनों को अलग-अलग टारगेट

सरहद के मौजूदा हालातों से पता नहीं इस बात का कितना ताल्लुक है लेकिन सच्चाई यही है कि भारतीय सेना के लिए गनों की ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। संभवत: यही वजह है कि शारंग के अपग्रेडेशन का कार्य जीसीएफ के हिस्से से हटाकर अब वाहन निर्माणी को सौंपा जा रहा है। वजह बताई जा रही है कि इस बदलाव के बाद से गन कैरिज फैक्ट्री ज्यादा से ज्यादा धनुष तोप का उत्पादन कर सकेगी। आयुध निर्माणी बोर्ड ने हाल ही में आदेश जारी कर उत्पादन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। जानकारों का कहना है कि इससे दोनों निर्माणियों में संतुलन की स्थिति भी निर्मित हो सकेगी। दूसरी तरफ धनुष की समय पर आपूर्ति भी प्रभावित नहीं होगी।

कैरिज बनाएगी जीसीएफ
शारंग गन में मुख्य तौर पर दो हिस्से हैं। कैरिज (निचला हिस्सा), बैरल (गोला दागने वाली पाइप)। अपग्रेडेशन में 130 एमएम की बैरल को बदलकर 155 एमएम किया जाना है। कानपुर निर्माणी से बैरल तैयार होगी और वीएफजे इसे चेंज कर अपग्रेड करेगा। अधिकांश कार्य पुरानी गनों पर ही हो रहा है लिहाजा किसी गन में नए कैरिज की जरूरत होती है तो इसे जीसीएफ मुहैया कराएगा।

सप्लाई डायवर्ट हुई
इस आदेश के साथ ही शारंग के लिए होने वाली जरूरी साजो सामान की सप्लाई भी डायवर्ट की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि अपग्रेडेशन से जुड़े उपकरण अब जीसीएफ की जगह वीएफजे को सप्लाई किए जाएँगे।

जानिए... कितनी घातक हैं देश की ये दो गन मशीनें

सोवियत संघ से खरीदी गईं इन तोपों की मारक क्षमता ही काफी अधिक है। मैनुअल सिस्टम होने के कारण गुजरे जमाने में जवानों को इसे चलाने में खासी मेहनत भी करनी पड़ती थी।
शारंग को सेमी ऑटोमैटिक बनाया गया है और इसका रैमर आधुनिक है। ऐसे में जवान इसे आसानी से चला सकेंगे।
सैन्य सुधार के तहत सभी गनों और टैंकों के बैरल को 155 एमएम में अपग्रेड किया जाना है। इस तरह के अपग्रेडेशन से फायदा यह है कि दूसरी गनों में उपयोग लाए जाने वाले एक ही तरह के गोले शारंग से भी फायर किए जा सकेंगे।
इसकी मारक क्षमता को भी बढ़ाया गया है। 155 एमएम बैरल का साथ होने से यह गन तकरीबन 40 किमी तक प्रहार कर सकती है।
40 किमी रेंज तक मार करने वाली धनुष की डिजाइन गन कैरिज बोर्ड ने तैयार की है। धनुष की रेंज बोफोर्स से ज्यादा तो है ही सटीक भी है।
यह बॉर्डर एरिया और अलग-अलग हालात में फायरिंग के लिए सक्षम साबित हुई है। सियाचिन जैसे ठंडे और राजस्थान के गर्म इलाकों में कामयाब रही है ।
45 कैलीबर की 155 मिलीमीटर और ऑटोमेटिक धनुष वैसे बोफोर्स तोप की टेक्नीक पर बेस्ड है। धनुष तोप की सबसे बड़ी खासियत है यह ऑटोमेटिक सिस्टम से खुद ही गोला लोड कर फायर कर सकती है।
दुनिया की चुनिंदा गनों में शुमार धनुष की एक और खासियत है कि लगातार कई घंटों के फायरिंग के बाद भी इसका बैरल गर्म नहीं होता।

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