दुनिया में पीपीई किट बनाने वाले देशों में भारत दूसरे स्थान पर पहुंचा



नई दिल्ली । केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी.वी.सदानंद गौड़ा ने कोविड-19 के दौरान भारतीय दवा उद्योग के योगदान की सराहना की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए टीके का विकास करने और इसे सस्ती दर पर लोगों के लिए उपलब्ध कराने वालों में भारतीय दवा उद्योग भी एक होगा। गौड़ा इन्वेस्ट इंडिया फार्मा ब्यूरो और औषधि विभाग द्वारा कल शाम आयोजित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्यम से आयोजित यह वेबीनार #ईआईएफ़2020 चिकित्सा उपकरण और औषध उद्योग क्षेत्र में निवेश क्षमता का आकलन, भारत सरकार की पहल, बुनियादी ढांचा और इस क्षेत्र में उभरते अवसर पर आधारित था। 
केंद्रीय मंत्री ने जोर दिया कि भारतीय दवा उद्योग और चिकित्सा उपकरण उद्योग इस अवसर पर आगे बढ़ने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि यह मेरे और करोड़ों भारतीयों के लिए गौरव का विषय है कि एक समय आयात पर निर्भर रहने वाला भारत पीपीई किट के निर्माण और इसकी आपूर्ति के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है और यह प्रतिदिन 5 लाख से अधिक पीपीई किट का उत्पादन कर रहा है। इसी तरह से वेंटिलेटर के मामले में भी बहुत कम समय में भारत ने अपनी उत्पादन क्षमता को व्यापक रूप में विस्तारित किया है और स्वदेशी उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 3 लाख तक पहुंच गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान दवाओं की कमी नहीं होने पाई और दवा की कीमतें स्थिर बनी रहीं। 
गौड़ ने कहा कि यह लक्ष्य केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और संस्थानों, राज्य सरकारों तथा निजी क्षेत्र के बीच बेहतर समन्वय से हासिल किया जा सका है। गौड़ा ने स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ती एवं सुलभ बनाने में इसकी बड़ी भूमिका है। साथ ही यह उपकरण स्क्रीनिंग, जांच, इलाज के लिए उन्नत शल्य आवश्यकताओं, स्वास्थ्य सूचकांक की निगरानी के लिए उपकरण विभिन्न आवश्यकताओं में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में औषधि विभाग ने दवा उत्पादन और चिकित्सा उपकरण उत्पादन के क्षेत्र में घरेलू क्षमता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं और यह फैसला किया है कि राज्य सरकारों और निजी क्षेत्रों के समन्वय से देश के विभिन्न भागों में तीन दवा पार्क और चिकित्सा उपकरण के तीन बड़े पार्क को विकसित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य 53 जटिल एपीआई या की स्टार्टिंग मैटेरियल (केएसएम) और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है जिसके लिए भारत इस समय पूरी तरह से आयात पर निर्भर है।

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