जब न्याय की आंखों पर पट्टी बंधी हो...
जबलपुर, 12 जुलाई —
शहर के सम्मानित शिक्षण संस्थान अंजुमन स्कूल के अध्यक्ष और भाजपा के सक्रिय नेता मोहम्मद अनवर अन्नू पर बाइक चोरी का आरोप किसी कड़वी अफवाह से कम नहीं लगता। एक प्रतिष्ठित संस्था के कद्दावर पद पर बैठे, सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले, और वर्षों से जबलपुर की गली-कूचों में जनसेवा करने वाले व्यक्ति पर इस तरह का आरोप न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि शर्मनाक भी।
अब सवाल यह है —
क्या कोई स्कूल अध्यक्ष, जो हजारों छात्रों का भविष्य संवारता है, एक साधारण बाइक चोरी करेगा?
क्या कोई भाजपा नेता, जो खुद जनप्रतिनिधियों के साथ मंच साझा करता है, ऐसी ओछी हरकत करेगा?
या फिर यह एक सोची-समझी चाल है — बदनाम करने की, मिटा देने की, और राजनीतिक समीकरणों को बदलने की?
घटना का विवरण: मामला क्या है?
यह पूरा मामला 12 जुलाई को सामने आया, जब अचानक मो. अनवर अन्नू के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें आरोप है कि उन्होंने एक बाइक चुराई।
हैरानी की बात यह है कि न कोई ठोस सबूत, न कोई चश्मदीद, और न ही कोई वीडियो प्रमाण — बस एक संदेह, एक बयान, और मामला दर्ज।
यह कानून है या व्यक्तिगत रंजिश का मंच?
कौन है पर्दे के पीछे?
अब सबसे बड़ा सवाल —
आखिर क्यों और किसने किया ऐसा?
क्या ये उनके पद की प्रतिष्ठा पर चोट करने की कोशिश है?
क्या ये अंजुमन स्कूल में हो रही किसी अंदरूनी खींचतान का नतीजा है?
या फिर ये कोई राजनीतिक दुश्मनी है, जो अब चरम पर आ चुकी है?
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में अंजुमन स्कूल की आंतरिक राजनीति में कुछ असंतोष उभरा था। कुछ चेहरे बदलने वाले थे, और कुछ चेहरों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा था — जिनमें अनवर अन्नू का नाम सबसे ऊपर है।
जनता की जुबान पर एक ही सवाल: दोषी कौन?
"अनवर अन्नू बाइक चुराएंगे? ये सुनकर हंसी आती है..."
यह कहना है स्थानीय निवासी इकबाल हुसैन का, जो पिछले 15 वर्षों से मोहल्ले में अन्नू जी को जानते हैं।
"जिसने सैकड़ों जरूरतमंद छात्रों की फीस माफ करवाई, वो किसी की बाइक चुराएगा?"
यह कहना है स्कूल के एक पूर्व शिक्षक का।
इन बयानों से साफ है कि यह मामला केवल आरोप नहीं है, यह चरित्र पर हमला है।
अब न्याय की बारी है — लेकिन क्या वो मिलेगा?
अनवर अन्नू जैसे व्यक्ति को कानून के कठघरे में खड़ा कर देना आसान था, क्योंकि
वो एक मुस्लिम नेता हैं
वो एक उभरती राजनीतिक ताकत हैं
और वो एक समाज सुधारक भी हैं
ऐसे में यह मामला सिर्फ बाइक चोरी का नहीं, बल्कि न्याय बनाम राजनीति का बनता जा रहा है।
— हम चुप नहीं रह सकते
हम, एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते, यह नहीं कह सकते कि कोई निर्दोष है या दोषी — लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि बिना सबूत किसी पर उंगली उठाना, लोकतंत्र के स्तंभों को हिला देना है।
अनवर अन्नू के साथ न्याय हो। अगर वह निर्दोष हैं, तो उन्हें तुरंत क्लीन चिट दी जाए। और अगर नहीं — तो पूरी पारदर्शिता से जांच हो।
हमारी मांग:
घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच हो।
झूठे आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई हो।
अनवर अन्नू की छवि को नुकसान पहुँचाने वालों का पर्दाफाश हो।
जबलपुर पूछ रहा है — क्या सिर्फ एक ‘नाम’ और ‘पद’ होना ही आजकल सबसे बड़ा जुर्म बन गया है?
यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि न्याय के बुनियादी उसूलों का सवाल है।