मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से एक शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां शिक्षा विभाग में महज चार लीटर पेंट लगाने के नाम पर 168 मजदूरों और 65 मिस्त्रियों को भुगतान कर दिया गया। कुल खर्च? ₹1.07 लाख!
हाई स्कूल सक्कन्दी में इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब सोशल मीडिया पर बिल वायरल हुए। वहीं, निपानिया के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 20 लीटर पेंट के लिए 425 से अधिक मजदूर व मिस्त्री काम पर दिखाए गए और खर्च ₹2.31 लाख तक जा पहुंचा।
शिक्षा की दीवारों पर रंग कम, भ्रष्टाचार की परतें ज्यादा चढ़ाई जा जब देशभर में पारदर्शिता और जवाबदेही की बातें हो रही हैं, तब मध्यप्रदेश का एक जिला इस तंत्र को मुंह चिढ़ा रहा है। शहडोल में दो स्कूलों में मामूली पेंटिंग के लिए हजारों मजदूरों की झूठी एंट्री, और लाखों रुपये की सरकारी निकासी—क्या यही ‘गुड गवर्नेंस’ है?
एक ओर छात्र बिना डेस्क-बेंच के बैठते हैं, वहीं दूसरी ओर दीवारों पर पेंट लगाने के नाम पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं। सवाल यह है—कब तक स्कूलों को घोटालों की प्रयोगशाला बनाया जाएगा?
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