भोपाल।शिवराज सरकार ने प्रदेश में भूमि का सर्वे कर उसका रिकार्ड संधारित करने के लिये बने भू-अभिलेख नियमावली को पचास साल बाद एकजाई कर दिया है। पहले यह अलग-अलग विभिन्न रुपों में थी, जिससे बहुधा विसंगतियां उत्पन्न हो रही थीं। अब भू-सर्वे के बाद नक्शों में हाईवे, मोबाईल टावर, फ्लाई ओवर, स्कूल एवं अस्पताल भी एक चिन्ह के रुप में दिखेंगे जबकि पहले मंदिर-मस्जिद ही चिन्हों के रुप में दिखाये जाते थे। इसके अलावा, अतिक्रमण करने वालों का रिकार्ड भी एक निर्धारित फार्म में रखा जायेगा। वर्ष 1970 में भू-अभिलेख नियमावली चार भागों में बनाई गई थी, जिसे अब सरल कर दो भागों में ही कर दिया गया है। नये भाग एक में पटवारी और राजस्व निरीक्षक की परीक्षा, नियुक्ति, उसके कर्त्तव्य तथा भू-अभिलेख अधीक्षक एवं सहायक भू-अभिलेख अधीक्षक के कत्र्तव्य सात अध्यायों में दिये गये हैं जबकि भाग दो में भू-सर्वेक्षण का परिचय, भू-मापन की विधियां, कण्ट्रोल पाईंट, अलामात यानि रुढि़ चिन्ह, अभिलेख एवं सर्वे के नियम, ग्राम खसरे को तैयार करने के डायरेक्टिव्स, ड्रोन सर्वेक्षण, ड्रोन के माध्यम से भू-सर्वेक्षण पन्द्रह अध्यायों में दिये गये हैं।नई नियमावली में यह भी बताया गया है कि आगे सेटेलाईट से भू-सर्वेक्षण की प्रक्रिया का भी प्रावधान किया जायेगा। यह सारी कवायद इसलिये की गई है क्योंकि अब सभी कार्य डिजिटल फार्म में हो रहे हैं और इसके लिये पटवारियों को भी लैपटाप दिये गये हैं। विभागीय अधिकारी ने बताया कि हमने भू-अभिलेख नियमावली को अनेक संशोधनों के साथ पचास साल बाद एकजाई किया है। इससे भूमि के सर्वे एवं उसके अभिलेखीकरण को आसानी से किया जा सकेगा। डिजिटल युग के हिसाब से भी इसे नया रुप दिया गया है।
भोपाल।शिवराज सरकार ने प्रदेश में भूमि का सर्वे कर उसका रिकार्ड संधारित करने के लिये बने भू-अभिलेख नियमावली को पचास साल बाद एकजाई कर दिया है। पहले यह अलग-अलग विभिन्न रुपों में थी, जिससे बहुधा विसंगतियां उत्पन्न हो रही थीं। अब भू-सर्वे के बाद नक्शों में हाईवे, मोबाईल टावर, फ्लाई ओवर, स्कूल एवं अस्पताल भी एक चिन्ह के रुप में दिखेंगे जबकि पहले मंदिर-मस्जिद ही चिन्हों के रुप में दिखाये जाते थे। इसके अलावा, अतिक्रमण करने वालों का रिकार्ड भी एक निर्धारित फार्म में रखा जायेगा। वर्ष 1970 में भू-अभिलेख नियमावली चार भागों में बनाई गई थी, जिसे अब सरल कर दो भागों में ही कर दिया गया है। नये भाग एक में पटवारी और राजस्व निरीक्षक की परीक्षा, नियुक्ति, उसके कर्त्तव्य तथा भू-अभिलेख अधीक्षक एवं सहायक भू-अभिलेख अधीक्षक के कत्र्तव्य सात अध्यायों में दिये गये हैं जबकि भाग दो में भू-सर्वेक्षण का परिचय, भू-मापन की विधियां, कण्ट्रोल पाईंट, अलामात यानि रुढि़ चिन्ह, अभिलेख एवं सर्वे के नियम, ग्राम खसरे को तैयार करने के डायरेक्टिव्स, ड्रोन सर्वेक्षण, ड्रोन के माध्यम से भू-सर्वेक्षण पन्द्रह अध्यायों में दिये गये हैं।नई नियमावली में यह भी बताया गया है कि आगे सेटेलाईट से भू-सर्वेक्षण की प्रक्रिया का भी प्रावधान किया जायेगा। यह सारी कवायद इसलिये की गई है क्योंकि अब सभी कार्य डिजिटल फार्म में हो रहे हैं और इसके लिये पटवारियों को भी लैपटाप दिये गये हैं। विभागीय अधिकारी ने बताया कि हमने भू-अभिलेख नियमावली को अनेक संशोधनों के साथ पचास साल बाद एकजाई किया है। इससे भूमि के सर्वे एवं उसके अभिलेखीकरण को आसानी से किया जा सकेगा। डिजिटल युग के हिसाब से भी इसे नया रुप दिया गया है।